भाग्य ओर कुछ नहीं बल्कि हमारे कर्मों का ही परिणाम

आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा
कथा का समापन और यज्ञ आज

Aअजमेर। कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि भाग्य ओर कुछ नहीं बल्कि हमारे कर्मों का ही परिणाम है। हर कार्य के पीछे कारण छुपा हुआ होता है। बिना कारण के कुछ भी घटित नहीं होता। इसी तरह जिन विशेष परिस्थितियों को भाग्य कह दिया जाता है ‚ उनका कारण हमारे पहले के कर्म ही होते हैं। क्योंकि हमारे कर्म हमारे व्यक्तित्व पर निर्भर करते हैं इसलिए यह कहा जा सकता है कि जैसा हमारा आज का व्यक्तित्व है वैसा ही हमारा कल का भाग्य होगा।
आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के दशम दिवस मंगलवार को कथा के दौरान संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि जो होने वाला है, वह होकर ही रहेगा और जो होने वाला नहीं है वह कभी नहीं होगा, फिर चिंता किस बात की। आप तो अपना कर्म (कर्तव्य) पूरा करते चलो बाकी सब भगवान पर छोड दो।जैसा तुम चाहो वैसा ही हो जाय यह हाथ की बात नहीं है । वह संकल्प चाहे भगवान के संकल्प पर छोड़ दो, चाहे संसार के संकल्प पर छोड़ दो, चाहे प्रारब्ध पर छोड़ दो और चाहे प्रकृति पर छोड़ दो। जो अच्छा लगे, उसी पर छोड़ दो तो दुःख मिट जायगा। भगवान पर छोड़ दो तो जैसा भगवान् करेंगे, वैसा हो जायगा। इंसान अपने नाम और परिवार से बड़ा नहीं बनता, अपितु इंसान अपने कर्मों से बड़ा बनता है और कर्म ही इंसान की पहचान होती है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि दया, त्याग और सेवा जिसके दिल में हैं वो भगवान के सबसे करीब माने जाते हैं। जिस शख्स ने इन तीन चीजों को अपने में समाहित कर रखा है उसने समझो भगवान को अपने वश में कर रखा है। भगवान भी इन चीजों के भूखे होते हैं. जीवों में दया का भाव देख कर वो दौड़े चले आते हैं। भगवान भक्तों के वश में रहते हैं। उन्हें धन, यश, वैभव नहीं बांध सकता। वे तो भक्तों के इशारे पर नाचते हैं। जिस मानव देह को लोग बिना भक्ति के ही खत्म कर देते हैं, उन्हें इस बात का एहसास नहीं कि भगवान ने करुणा करके उन्हें यह तन दिया है। उस शरीर को पाने के बाद उसका सही अर्थों में लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं। उसे अगर भक्ति के मार्ग पर लगाया जाए तो वह भगवान को भी वश में करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। कर्म इस संसार में आने वाला हर जीव करता है, मगर भगवत्‌ आराधना और भक्ति केवल मानव तन से ही संभव है। उसके बाद भी कुछ लोग अपने कर्म और भक्ति के बाद स्वर्ग पाने की इच्छा मन में पालते हैं। उन्हें पता नहीं होता है कि जिसे वे स्वर्ग पाने का रास्ता समझते हैं, उस मानव तन को पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं, क्योंकि मानव देह पाने के बाद ही भक्ति रस से मिलने वाले आनंद का अनुभव किया जा सकता है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि बाबा रामदेव ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर दलित हिन्दुओं का पक्ष ही नहीं लिया बल्कि उन्होंने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ाकर शांति से रहने की शिक्षा भी दी। बाबा रामदेव शासक भी रहे, लेकिन उन्होंने राजा बनकर नहीं अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य रोगग्रस्त रोगियों व जरूरतमंदों की सेवा भी की। इस बीच उन्होंने विदेशी आक्रांताओं से लोहा भी लिया। बाबा ने अपने जीवनकाल में में लोगों की रक्षा और सेवा करने के लिए उनको कई चमत्कार दिखाए। आज भी बाबा अपनी समाधि पर साक्षात विराजमान हैं। आज भी वे अपने भक्तों को चमत्कार दिखाकर उनके होने का अहसास कराते रहते हैं।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि पूर्व जन्मों में या पूर्व समय में हमने जो भी कर्म किये, उन्हीं सब का फल मिलकर तो भाग्य रूप में हमारे सामने आता है। भाग्य हमारे पूर्व कर्म संस्कारों का ही तो नाम है और इनके बारे में एकमात्र सच्चाई यही है कि वह बीत चुके हैं। अब उन्हें बदला नहीं जा सकता। लेकिन अपने वर्तमान कर्म तो हम चुन ही सकते हैं। यह समझना कोई मुश्किल नहीं कि भूत पर वर्तमान हमेशा ही भारी रहेगा क्योंकि भूत तो जैसे का तैसा रहेगा लेकिन वर्तमान को हम अपनी इच्छा और अपनी हिम्मत से अपने अनुसार ढाल सकते हैं। हमारे पूर्व कर्म संस्कार जिन्हें हम भाग्य भी कह लेते हैं, मात्र परि​स्थितियों का निर्माण करते हैं। जैसे हमारे जन्म का देश-काल, घर-व्यापार, शरीर-स्वास्थ्य आदि हमारी इच्छा से नहीं मिलता लेकिन उन परिस्थितियों का हम कैसे मुकाबला करते हैं, वही हमारी नियति को निर्धारित करता है।
पाठक जी का आमंत्रण किया स्वीकार: कथा में विशेष रूप से उपस्थित श्री चित्रकूट धाम पुष्कर से सदगुरु श्री पाठक जी महाराज ने संत स्वामी श्री मूल योगीराज को पुनः अजमेर आगमन का आमंत्रण दिया जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने 18 मार्च 2018 से पुनः अजमेर में कथा करने का आश्वासन दिया।
कथा के मध्य मे साध्वी शशि गौतम जी ने अपनी सुमधुर आवाज़ मे है बोध तो गुरु ज्ञान क्या करे, वश में भगवान् भक्त के, थाने बाबा रामदेव परणावे परणो भाटी हरजी, सहित अनेक भजन प्रस्तुत किये। पूर्ण लय-ताल और वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ प्रस्तुत भजनों पर कथा मंडप में विराजित श्रोतागण भाव-विभोर होकर नाच उठे।
कथा आयोजक संस्था बाबा श्री रामदेव कथा समिति के प्रमुख कार्यकर्ता महेंद्र मारु ने बताया कि मंगलवार की कथा में श्री हरजी भाटी से मिलना, अलख उपासना के प्रचार हेतु आदेश देना, हरजी द्वारा जोधपुर के राजा विजयसिंह के सामने कपडे के घोड़े को दाल खिलाना और पानी पिलाना, चमत्कार आदि का वर्णन किया गया।
कथा का समापन और यज्ञ आज:- आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के समापन दिवस बुधवार को साम्प्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रिय एकता तथा विश्व शांति के लिए रामदेव महायज्ञ का आयोजन किया जायेगा। महायज्ञ प्रातः साढ़े आठ बजे आरम्भ होगा। कथा विसर्जन के पश्चात प्रसाद वितरण किया जायेगा।
पार्षद एवं बाबा के परम भक्त कुंदन वैंष्णव के अनुसार मंगलवार की कथा में श्री चित्रकूट धाम पुष्कर से सदगुरु श्री पाठक जी महाराज, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से ब्रह्माकुमारी योगिनी बहन, नगर सुधार न्यास अजमेर के पूर्व चेयरमेन धर्मेश जैन, राजस्थान खेल परिषद के उपाध्यक्ष उमेश गर्ग, अविनाश मारोठिया, जीतेन्द्र धारू, अमरचंद भाटी, आदि विशेष रूप से पूजा और आरती मे उपस्थित थे।

(महेन्द्र मारू)
मो . 9829795054

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