सावन काव्य गोष्ठी में जमकर बही काव्य रसधार
अजमेर, 01 अगस्त 2021/ श्रावण मास की मनमोहक फुहारों के बीच रविवार को शास्त्री नगर स्थित ऋतुचक्र भवन में सावन काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। संयोजक देवदत्त शर्मा ने बताया कि महामारी काल की हताशा और पीड़ा को भुलाकर सुहावने मौसम में कविताओं के माध्यम से मन में उल्लास भरने के उद्देश्य से आयोजित इस गोष्ठी में नगर के सुधि कवियों ने वातावरण को काव्य की रसधार में भिगो दिया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ बृजेश माथुर ने तरन्नुम में गज़ल ‘जब भी दिल में खुशियां चहके समझो सावन आया है, मन का बच्चा दौड़ लगाने मन से बाहर आया है‘ और ‘क्यूं न इक छोटे से घर में ख्वाब की दुनियां बसाएं‘ पेश की और मुख्य अतिथि डॉ विनिता अशित जैन ने सुरम्य गीत ‘जाये कोई तो रूठे मेघों को मनाएं‘ सुनाया। रोचक संचालन करते हुए गोविन्द भारद्वाज ने गीत ‘सावन आया कैसा इस बार सखी, भूल गया कोई अपना प्यार सखी‘ व पौराणिक विषयों के लेखक देवदत्त शर्मा ने ‘सावन में आयी बहार प्रकृति कर रही श्रृंगार‘ सुनाकर समा बांध दिया।
गोष्ठी में भावना शर्मा ने ‘तेरे जमाल से पूरी कायनात का रंग हरा है‘, डॉ महिमा श्रीवास्तव ने ‘ओ श्यामल मेघ सावन के‘, प्रदीप गुप्ता ने वर्तमान संवेदनहीनता पर कटाक्ष करती कविता ‘मैं तो भूख हूं साहब‘, डॉ विष्णु दत्त शर्मा ने ‘मयंद सा मनमस्त सावन भिगो रहा तनमन‘, घ्वनि मिश्रा ने गज़ल ‘हम बच्चों के साथ न हाना बारिश का, आ जाये वो काश जमाना बारिश का‘, मधु खण्डेलवाल ने ‘चांद ने यूं कहा चांदनी रात में‘ गीत सुनाकर सम्पूर्ण वातावरण को सावन रंग में भिगो दिया। वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया ने ‘शिल्पकार ने उकेर दिये हैं हूबहू भाव, मनुष्य के चेहरे दिखने लगे नीरस निर्भाव‘ कविता प्रस्तुत की तथा गंगाधर शर्मा हिन्दुस्तान ने ‘सावन उसे नहीं कहते‘, राजेश भटनागर ने मधुर लय में गीत ‘वो सावन भी कैसा सावन‘ और सुमन शर्मा ने श्रृंगार गीत ‘गीत कोई सुनाना चाहती हूं, मैं तुझको गुनगुनाना चाहती हूं‘ सुनाकर श्रोताओं के मन में माधुर्य घोल दिया। गोष्ठी में सत्यनारायण शर्मा एवं उत्कल शर्मा ने सहयोग किया।
देवदत्त शर्मा
संयोजक
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