‘‘राम तुम्हारा चरित्र, स्वयं ही एक काव्य है…’’- धर्मेन्द्र गहलोत, पूर्व महापौर

अजमेर 14 अगस्त। राष्ट्रीय कवि संगम अजमेर जिले की श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता में बारहवें दिवस पर 12 प्रतिभागियों ने भाग लेकर भगवान राम पर आधारित कविताओं का वाचन किया।

प्रतियोगिता में पूर्व महापौर धर्मेद्र गहलोत ने अध्यक्षता करते हुए मैथली शरण गुप्त की पंक्ति ‘‘राम तुम्हारा चरित्र, स्वयं ही एक काव्य है…’’ रचना के साथ स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाऐं अजमेर वासियों को देते हुए कहा कि विश्व शक्तियों ने सीमा पर जो जाल बिछाया है, उससे आज मर्यादा पुरूषोतम श्री राम की तरह संघर्ष करने की आवश्यकता है, उन्होनंे राष्ट्रीय कवि संगम के माध्यम से राम की त्याग, तपस्या, चरित्र, शौर्य आदि को आत्मसात करने का आवहान आज की युवा पीढ़ी से करते हुए सभी प्रतिभागियों को बधाई दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रतियोगिता में अतिथि कलाकार मोहित कुमार ने ‘‘देखा लखन कहाँ रे तू, श्री राम रो पडे…’’ प्रस्तुति देकर प्रतियोगिता का माहौल करूणामय कर दिया।

संस्था के उपाध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि प्रतियोगिता में सर्वप्रथम श्रीमती भारती सोनी के द्वारा संदीप द्विवेदी की रचना ’’बोलो कहाँ तक टिक सकोगे, यदि राम सा संघर्ष हो…’’, नितिन सोनी ने संदीप द्विवेदी की रचना ‘‘बात यह अभिमान की थी, प्रजा ऐसी राम की थी…’’, रवि कुमार ने राम को श्रीराम बनना, ऐसे निभाना पड़ा…’’, उज्ज्वल कुमार ने संदीप द्विवेदी की रचना ‘‘बोलो कहाँ तक टिक सकोगे, यदि राम सा संघर्ष हो…’’, श्रीमती यशोधरा ने लोकेश इंदोरा की रचना ‘‘कथा एक संन्यासी की, संन्यासी की अविनाशी की…’’, श्रीमती कंाता राव ने रचनाकार लोकेश इंदोरा की रचना ‘‘भूख प्यास की चिंता न हो, हर मानव हो मानव जैसा…’’, संतोष नायक ने ‘‘राम इस बार दंडक वन नहीं, काश्मीर जाना…’’, कल्पना शर्मा ने गंगाधर शर्मा की रचना ‘‘सुनो कपीश, मित्र के रहे साथ जो…’’, विवेक कुमार पारीक ने ‘‘जो राम नहीं, वह किसी काम का नही…’’, विशाल कुमार ने ‘‘जग में साँचो तेेरो नाम, हे राम हे राम…’’, शतविभा पाराशर ने ‘‘नमामि रामेश्वरम्’’, राजीव सक्सेना ने कमलेश शर्मा की रचना ‘‘राम हुए हैं कितने और प्रमाण दंे…’’ की प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्रतियोगिता का संचालन करते हुए महामंत्री नरेन्द्र कुमार भारद्वाज ने सभी निर्णायकगणों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रतियोगिता का प्रसारण यू-ट्यूब व फेसबुक के ऑन लाईन पॉर्टल पर किया गया। प्रतियोगिता के निर्णायक साहित्यकार रामवतार यादव एवं गंगाधर शर्मा थे। प्रतियोगिता के अंत में निर्णायकगणों ने अपनी प्रस्तुतियां भी दर्शकों के लिए दी। प्रतियोगिता के संयोजक लव गोयल ने रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाए…की पंक्तियों के साथ सभी को रामपथ पर चलने का आह्वान करते हुए सभी प्रतिभागियों व निर्णायकगणों को धन्यवाद दिया।

संस्था के अध्यक्ष ललित कुमार शर्मा ने बताया कि अगली प्रतियोगिता 16 अगस्त को दोपहर 2ः00 बजे से ऑन लाईन माध्यम से अन्य प्रतिभागियों के लिए आयोजित की जाऐगी। यह प्रतियोगिता जिला, प्रांत व राष्ट्रीय स्तर पर चरणबद्ध प्रतियोगिता में विजेताओं को नकद पुरस्कार दिये जाऐगें व सभी प्रतिभागियों को ऑन लाईन प्रमाण पत्र देने की भी संस्था द्वारा प्रावधान किया गया है।

कंवल प्रकाश किशनानी
मो. 9829070059

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