यशस्विनी माताजी ने कहा कि वह इंसान जो बड़ा बनना चाहता है या बड़ा है उसमें विनय गुण आवश्यक रूप से होना चाहिए विनय ही इंसान को ऊंचाइयों पर ले जाता है और शिखर पर बरकरार रखता है लेकिन जहां विनय गुण गायब हो जाता है वहां इंसान धरातल पर आ जाता है
माताजी ने कहा कि सदाचार जिसके जीवन में है वह सदैव दूसरे को आदर सम्मान से देखता है निंदक नहीं बनता ना निंदा करता है स्वयं का आकलन करता है स्वयं का पुरुषार्थ करता है और आगे बढ़ने की चेष्टा करता है दूसरों की कमियों को दिन भर देखते रहेंगे तो सेम कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे कमियों को देखना और उन कमियों से सीखना अलग बात है
बालक अपने घर में रह रहे लोगों से ही व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करता है जब वह बड़ा होकर बाहर निकलता है तो वह समाज से व्यवहारिकता प्राप्त करता है अगर परिवार में रहते वक्त उसमें सभी व्यवहारिक ज्ञान आ जाए तो आगे बढ़कर वह समाज और देश के लिए काम कर सकता है
श्री दिगंबर जैन मुनि संघ सेवा जागृति मंच के तत्वाधान चल रहे प्रवचन कार्यक्रम में सुनील जैन होकरा माणक बड़जात्या विशाल अजमेरा आदि उपस्थित थे माताजी की प्रतिदिन प्रवचन प्रातकाल 8:30 बजे पार्श्वनाथ कॉलोनी संत भवन में हो रहे हैं