*पुस्तक मन के मोती का हुआ विमोचन*

अजमेर की जानी-मानी साहित्यकार एवं समाजसेवी अंबिका हेड़ा की राजस्थान अकादमी द्वारा इसी वर्ष आर्थिक सहयोग से प्रकाशित पुस्तक
*मन के मोती* का विमोचन समारोह रविवार को कई जानेमाने लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ।।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रही असम से पधारी
पदम श्री अवार्ड के लिए नामित प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ निशा नंदनी भारतीय।।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे श्री शिव शंकर हेड़ा एवं शशि हेड़ा ।श्रीकृष्ण शारडा एवं गोपी शारडा।
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की डॉक्टर बसंत सिंह सोलंकी सचिव राजस्थान साहित्य अकादमी, डॉक्टर मधु खंडेलवाल साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता एवं श्री उमेश कुमार चौरसिया संस्थापक नाट्य वृंद संस्था की भी गरिमामय उपस्थिति रही।
पुस्तक विमोचन के इस शुभ अवसर पर डा मधु खंडेलवाल ने लेखिका अंबिका हेड़ा के लेखन एवम पुस्तक मन के मोती पर भी संवाद एवम चर्चा की ।। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में असम से पधारी डॉक्टर निशा नंदिनी ने कहा कि आज मेरी छोटी बहन अंबिका हेड़ा की पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है मुझे बहुत खुशी है ।अंबिका का हृदय असीम कोमल भावनाओं से ओतप्रोत हैं। उनके लेखन में उनकी भावना,संवेदना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। काव्य में उन्होंने सभी विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है अंबिका जी अपनी लेखनी से स्याही को रोशनाई करना जानती हैं। यह उनकी पहली पुस्तक है पर मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में एक नंबर के बाद दो जीरो अवश्य लगेंगे।
सुमित्रानंदन पंत की पंक्तियां—-
गा कोकिला संदेश सनातन,
मानव का परिचय मानवपन।
यह पंक्तियां अंबिका जी पर 100% खरी उतरती हैं।
मानवता के बिना मानव का कोई मोल नहीं है।
कार्यक्रम में उपस्थित शिव शंकर हेड़ा एवं कृष्ण शारडा के अनुसार अम्बिका को परिवारजन , अजमेरवासियो का प्यार और आशीर्वाद हमेशा मिलता रहा हैं । अम्बिका सबके विश्वास को बनाये रखते हुए बुलंदियों तक पहुँचे कामना हैं।

वही साहित्य अकादमी सचिव सोलंकी जी ने कहा कि अम्बिका की “ मन की मोती” २०२३ में साहित्य अकादमी पहुँचाने वाली प्रथम पुस्तक थी और उसे उत्कृष्ट श्रेणी में रखा गया।
विशिष्ट अतिथि मधु खंडेलवाल ने कहाँ
अम्बिका की लेंखनी पाठक के मन पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
“मन के मोती”भविष्य में साहित्य को लेकर नयी परंपराओं को जोड़ने का साहस रखने की क्षमता भी रखती हैं।
पुस्तक पर बारीक चिंतन करते हुए श्री उमेश कुमार चौरसिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि अम्बिका की कविताएँ साहित्यिक नियमों में नहीं आती लेकिन उन्होंने सभी अपनी कविताएँ भावों पर लिखी हैं और मन से मन तक पहुँचती हैं।
कार्यक्रम में एक खुले मंच का भी आयोजन किया गया जिसमें कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने अपनी अपनी बात रखी।।
कार्यक्रम में शहर के सभी जाने-माने प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।।
कार्यक्रम के अंत में मन के मोती पुस्तक की लेखिका अंबिका हेड़ा ने सभी का सम्मान करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया
कार्यक्रम का सफल संचालन पूर्णिमा मालू ने किया ।

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