जैसा की सभी जानते है की उत्तरी भारत के राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं गुजरात में इस शताब्दी की भयंकर अतिवृष्टि होने से पशुपालकों ने अपने पशुओं के लिए जो हरा चारा गर्मियों में बोया था वो गल के पूरा समाप्त हो गया था। किसानों की फसले भी अतिवृष्टि से तबाह होने से जो फसलो से चारा मिलने वाला था वो 20% ही रह गया, ऐसी परिस्थिति में आसोज एवं कार्तिक महिने में पशुओं के हरे चारे के लिए रिजका बोते है यही आगे जाकर पशुओं के चारे का मुख्य स्त्रोत बन जाता है परन्तु विश्वस्त सूत्रो से ज्ञात हुआ है कि रिजके के बीज का भारत सरकार ने विदेशो में निर्यात की अनुमति दी है ऐसी परिस्थितियों से एक मात्र राज्य गुजरात ही पूरे देश को रिजके का बीज सप्लाई कर रहा था परन्तु निर्यात होने से ऊंचे दामो में रिजके का बीज विदेशों में भेजा जा रहा है एवं वर्तमान में राजस्थान प्रदेश रिजके का बीज Black में बाजार में 500 से 700 रूपये प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है जबकी आर.सी.डी.एफ द्वारा अपने बीकानेर फार्म से उत्पन्न रिजका प्रदेश के पशुपालको को 200 रूपये प्रति किलो में उपलब्ध करवाया था परन्तु अभी भी रिजके के बीज की भारी मात्रा में मांग पशुपालकों द्वारा की जा रही है।
डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने अजमेर के सांसद एवं कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी से अनुरोध किया है की रिजके के बीज के निर्यात पर तत्काल पाबन्दी लगवाकर राजस्थान के पशुपालकों को रिजका सस्ती दर पर उपलब्ध करवाए।
अन्यथा पशुपालाकों की हालत वहीं होगी जो किसानों के खाद व बीज प्रर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने से हुई है। यदि रिजके के बीज की व्यवस्था नहीं हुई तो प्रदेश में दूध के उत्पादन पर इस वर्ष प्रभाव पडेगा एवं राजस्थान देश में दूध उत्पादन के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर ही रहेगा।