पहले बारी घर में बैठे गद्दारों की
घर में बैठे गद्दार है भूल जाते हैं जो अपनी माटी की खुशबू उनको प्यारी आयातीत असहनीय शीशी इन गद्दारों को परवाह नहींं शहीदों की शहीदों को नमन करती भीगी आंखों को भी ये गद्दार तिरस्कृत करते न शरमाते हैं दुश्मन कर रहा पीठ पर वार ये गद्दार तब भी कह रहे दुश्मनों से बात … Read more