दादा पंडित राम नारायण उपाध्याय : स्वर्णिम स्मृतियों से
ये उस समय की बात है जब कंप्यूटर को वातानुकूल में ही रखा जाता था और उसे छुने के लिए भी पहले हतेलियों से धूल झटकनी पड़ती थी। सदी बदल रही थी इक्कीसवीं सदी का प्रारम्भ था बात होगी सन 1999 – 2000 की अब मैं भावनाओं को बहुत अच्छे से समझने लग चुका था। … Read more