कभी लगे थे चार चाँद ज़िन्दगी मै

आज कुछ अंको ओर मुहावरो को मिला कर कविता करने का मन बना है देखती हूँ क्या बन पडे ———— कभी लगे थे चार चाँद ज़िन्दगी मै फिर कही नो दो ग्यारह हुये चार दिन की आई चादनी रात जुगनु चन्द फिर तारी हो गये झूले हम बहुत सावन के झूले भादो मै भीगे भीगे … Read more

जननेता गिरोड़ीमल का भाषण

– देवेंद्रराज सुथार चौदह सितंबर यानि हिन्दी का दिन है। यह दिवस आज गांव के गांधी मैदान में बड़ी धूमधाम से मनाया जाना है। जगह-जगह हिन्दी दिवस की चर्चा है। अनपढ़ लोगों में कानाफूसी जारी है। साथ ही में देहाती लोगों में हिन्दी दिवस को लेकर उत्साह देखते ही बन रहा है। कार्यक्रम की रुपरेखा … Read more

वो लड़की

वो लड़की निर्धारित किये गए तमाम सामाजिक मापदंडों के अनुरूप ढाली गयी थी साथ ही निहायत खूबसूरत थी उससे… प्रेम किया गया उसकी गरिमा को बार बार संशय के प्रहारों से नग्न किया गया और फिर ….. एक दिन सब कुछ शांत हो गया सफेद चादर में लिपटी उसकी देह कुंठित मनोवृत्ति का निवाला बन … Read more

बूंद-बूंद दूध बह गया देखा जो लहू लाल का

– देवेन्द्रराज सुथार छाती से सारा बूंद-बूंद दूध बह गया देखा जो लहू लाल का, मन माँ का ढह गया। अब उम्र भर न सोएंगे उस माँ के दोनों नैन, सब चैन लूट ले गया इस दिल का था जो चैन…। कवियित्री अंकिता चतुर्वेदी की ये उक्त पंक्तियां गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात … Read more

देश में न्याय की उम्मीद जगाते हाल के फैसले

अभी हाल ही में भारत में कोर्ट द्वारा जिस प्रकार से फैसले दिए जा रहे हैं वो देश में निश्चित ही एक सकारात्मक बदलाव का संकेत दे रहे हैं। 24 साल पुराने मुम्बई बम धमाकों के लिए अबु सलेम को आजीवन कारावास का फैसला हो या 16 महीने के भीतर ही बिहार के हाई प्रोफाइल … Read more

अर्थ एवं विकास के असन्तुलन से उपजी समस्याएं

पैसे के बढ़ते प्रवाह में दो तरह की स्थितियां देखने को मिल रही है। एक स्थिति में अर्थ के सर्वोच्च शिखरों पर पहुंचे कुछ लोगों ने जनसेवा एवं जन-कल्याण के लिये अपनी तिजोरियां खोल रहे हैं तो दूसरी स्थिति में जरूरत से ज्यादा अर्जित धन का बेहूदा एवं भोंडा प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां कुछ … Read more

देखे नाक किसकी कटती है

आज विश्वसमुदाय में चल रहे तनाव में रूस के टूटने के बाद भी उसने अपना दबदबा बनाये रखने में कूटनीति का इस्तेमाल किया है चीन और अमेरिका के खराब सम्बंध का उपयोग करते हुए रूस ने नई उभरती हुई ताकत चीन को साथ लेकर दोनों ने उतर कोरिया के कंधे पर बंदूक रखदी यहां रूस … Read more

भारत एक गड्ढा प्रधान देश

देश में विकास सड़क के गड्ढों की तरह फैलता जा रहा है। दरअसल ये छोटे-छोटे गड्ढे भारत मां पर जख्म है। ये जख्म आजादी के सत्तर साल बाद सोने वाली चिड़िया की हाल-ए-दास्तां है। हर पांच साल बाद कोई न कोई महापुरुष जीतता है और इन जख्मों को भरने की बजाय सहलाता है और नमक … Read more

कविता

– देवेंद्रराज सुथार समय के साथ सब बदल जाता है सूर्य की किरणों का तप पाकर आदमी फूल की तरह खिलता है और शाम होते होते ढल जाता है मेले में घूम हो जाने के डर से पिता पकड़ लेते है लालन की अंगुली और पांव दर्द न करे तुरंत उठा लेते है कंधों पर … Read more

एक शाल तीन खुशहाल

सुबह – सुबह भर कड़कती ठंड में एक अम्मा बंगले के बाहर काँप रही थी । घर की काम वाली बाई ने दरवाजा खोलकर देखा तो वो उससे शाल माँगने लगी ।उसने कहा -नहीं है ,आगे जाओ। उनका वार्तालाप सुनकर साहब बाहर आए और उन्होंने काम वाली की शाल मांँग कर उस अम्मा को दे … Read more

रेनफेड कृषि को बढ़ावा देना जरूरी

ऐसे वक्त में जब राजस्थान के जनजातीय जिले बांसवाड़ा में नवजात शिशुओं की मौत ने राज्य में कुपोषित मां और बच्चों की दयनीय स्थिति सामने ला दी है, वृक्ष-आधारित जीवन शैली और रेनफेड (वर्षा पर निर्भर) इलाकों में परंपरागत भोजन को प्रोत्साहन और संरक्षण देना प्रासंगिक हो गया है. चूँकि राजस्थान देश भर में सबसे … Read more

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