कभी लगे थे चार चाँद ज़िन्दगी मै
आज कुछ अंको ओर मुहावरो को मिला कर कविता करने का मन बना है देखती हूँ क्या बन पडे ———— कभी लगे थे चार चाँद ज़िन्दगी मै फिर कही नो दो ग्यारह हुये चार दिन की आई चादनी रात जुगनु चन्द फिर तारी हो गये झूले हम बहुत सावन के झूले भादो मै भीगे भीगे … Read more