कैलेण्डर ही नहीं, तकदीर भी बदले

एक और वर्ष अलविदा हो रहा है और एक नया वर्ष चैखट पर खड़ा है। उम्र का एक वर्ष खोकर नए वर्ष का क्या स्वागत करें? पर सच तो यह है कि वर्ष खोया कहां? हमने तो उसे जीया है और जीकर हर पल को अनुभव में ढाला है। अनुभव से ज्यादा अच्छा साथी और … Read more

क़लम उठ जाती है

बात-बात पर समझौतों से , जीवन लगता भारी । अंतर्मन झकझोर रहा है , क्यों ऐसी लाचारी ? भाग रहा है कर्त्तव्यों से , शायद लोग कहेंगे । मेरे मन की पीड़ा को भी , सदा अन्यथा लेंगे । मन की बात समझने वाले , मुश्किल से मिल पाते । इसीलिए लिखकर रख देता , … Read more

क्या सरकार सभी राजनितिक पार्टियो की जमा रकम सार्वजनिक करेगी

कल जिस तरह सोशल मीडिया और नेशनल चैनल ने मिल कर सरकार की खिंचाई की उससे सरकार तुरंत बैकफुट पर आई और शाम को वित्त मंत्री जी ने बताया कि राजनितिक पार्टियो को कोई छूट नहीं है और उन्हें भी उसी प्रकार जाँच के दायरे में लाया जाएगा जिस तरह बाकि सभी की जाँच होगी … Read more

अधूरी चाहत…

हां तुम्ही तो हो वो जिसे मैं चाह कर भी आज तक नही भूल पाई..हां आज भी चलचित्र की भांति एक-एक वाक्या मेरी आँखों के सामने आ रहा है… उस रोज जब मैं कॉलेज जाने के लिए घर से निकली, अभी नुक्कड़ तक ही पहुची थी कि तुम वहा खड़े नज़र आ गए..तुम्हारा टकटकी लगाकर … Read more

तुगलकी फरमानों से होगी नोटबंदी की हार

आर बी आई अधिकारियो की घबराहट का सबूत है 5000 से ज्यादा का नियम कल आर बी आई ने एक नया नियम जारी कर कहा है कि अब 5000 से ज्यादा एक बार ही जमा किये जा सकते है वो भी दो बैंक अधिकारियो की संतुष्टि के बाद की क्यों आपने अभी तक पैसे जमा … Read more

इस लंबी सी ख़ामोशी के बाद….

ऐ-री-सखी , बता ना मुझे कि एक लंबी सी खामोशी के बाद यूँ तेज़ तूफ़ान का आना और मेरा यूँ चेतन विहीन हो जाना और सोचना कि , क्यों हर तूफ़ान अपने बाद बर्बादी का मंज़र छोड़ जाता है दरख्त टूटे ,मकां *उजड़* और आँखों से बहते आँसू किसकी कहानी बयाँ करते हैं | ऐ-री-सखी … Read more

क्यों न स्त्री होने का उत्सव मनाया जाए

स्त्री ईश्वर की एक खूबसूरत कलाकृति ! यूँ तो समस्त संसार एवं प्रकृति ईश्वर की बेहतरीन रचना है किन्तु स्त्री उसकी अनूठी रचना है , उसके दिल के बेहद करीब । इसीलिए तो उसने उसे उन शक्तियों से लैस करके इस धरती पर भेजा जो स्वयं उसके पास हैं मसलन प्रेम एवं ममता से भरा … Read more

समस्याओं के देश में नसरेंद्र भाई मोदी नाम भी एक समस्या है

भारत जोकी जनतांत्रिक देश है जहा एक संविधान है जिसके द्वारा जनता के चुने हुए प्रतिनिधि स्वयं अपना शासन चलाते है पिछले 68 वर्षों से इसी प्रक्रिया से शासन सुचारू रूप में चल रहा था । जहां दुनिया के कई विकसित देश बेरोजगारी , मंदी , और भ्रष्टाचार की चपेट में आकर अपना आकर विचार … Read more

आदत सी हो गई…..

तूझे देखने की आदत सी हो गई, तूझे सोचने की आदत सी हो गई, जो लम्हे गुजारे थे हमने साथ में, उन्हेंं गुनगुनाने की आदत सी हो गई, टुटती हूँ , बिखरती हूँ,खुश्ख सी रहती हूँ, पर तेरी आहट सुनते ही !! खुद को समेटने की आदत सी हो गई, मुखौटों से भरी ये जिंदगी … Read more

कहां हैं भ्रष्टाचार के जड़ें?

अपने प्रधान मंत्री की नोट बंदी की प्रतिबद्धता से इतना तो साफ़ हैं की वह जनता को जो सन्देश देना चाहते थे किसी हद दे चुके हैं जनता उनके साथ खड़ी भी दिखाई देती है । पूरा देश भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में प्रधान मंत्री के साथ ढेरों कष्ट सहकर भी तन कर खड़ा है … Read more

मोदी जी! नोटबंदी घोटाले के लिये जिम्मेदार कौन ?

कालाधन पर अंकुश के लिये लागू की गई नोटबंदी योजना आम जनता, मजदूर, साधारण व्यापरी, किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रही है, वहीं भ्रष्ट व्यवस्था के चलते बैंक अफसरों, दलालों, माफियाओं के लिये यह योजना भी सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी साबित हुई है। जहां आम जनता को कई-कई दिनों तक लाइनों में … Read more

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