“यही है सच्चा इश्क़ ,सच्ची मोहब्बत”

सिर्फ किसी को पा लेना ही सच्चा प्रेम नही होता, किसी का अहसास भर उसके सानिध्य को हर वक़्त लालायित रहना ही सच्चा प्रेम है आत्मा से आत्मा का मिलन ही तो रूहानी इश्क़ कहलाता है जहा जिस्मानी आकर्षण स्वयं तुच्छ हो जाता है सिर्फ एक दूसरे के बारे में सोचना , सोच सोच कर … Read more

मधुकर वहीँ का वहीँ है

इक रोज वक्त अपने शिखर से उतर कर मेरे सामने बैठ गया कुछ देर वो बैठा मुझे देखता रहा मैंने गिलास खत्म किया फिर भरने लगा तो वक्त हंस दिया मैंने उसकी और देखा वो चुप हो गया जैसे कह रहा हो अरे भाई … मैं आ गया जब मैं नहीं था तो भी पीते … Read more

कपिलदेव पालीवाल: एक समर्पित जन सेवक

आलेख: लखन सालवी सभी फोटो: हेमन्त सोनी गोगुन्दा पंचायत समिति क्षेत्र की मजावड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच है कपिलदेव पालीवाल। इन्होंने पिछले पंचायतीराज चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान छपवाएं गए पोस्टर के माध्यम से इन्होंने अपील की थी कि ‘‘युवा, जुझारू, कर्मठ व सेवाभावी कपिलदेव पालीवाल को वोट देवें’’ ग्रामीणों … Read more

गांव के छोरे ने रचा इतिहास, कर्मचारी से बन गया दो कम्पनियों का मालिक

कहते हैं कि ऊँची उड़ान पंखों से नहीं हौंसलों से होती है अगर हौसलों को जुनून की हवा का साथ मिल जाये तो फिर बात ही क्या। कुछ ऐसे ही जज्बे और जूनून की पूंजी के साथ कृष्ण कुमार पाठक ने सभी नाकामियों को धकेलते हुए सफलता की एक मिसाल पेश की है। जिन्होंने पहले … Read more

राखी

तिलक प्यार का जो माथे पर सजा है राखी जो हाथ में तेरे भाई मुझे हमेशा पास तेरे बना रखेगा बचपन की जो भोली सी हरकतें है याद उनकी हमेशा बना रखेगा आज नहीं हो पास भाई तुम मेरे पर याद मुझे है आज भी तुम्हारा प्यार भरा स्नेह जो दुलार देता मुझे पिता सा … Read more

ईमानदार की जरुरत क्यों

एक ईमानदार सेठ था। उसके यहॉ एक मेहनती मुनिम था । सेठ रोज खाने में बहुत स्वादिष्ठ पकवान खाता था । खाने में दोगुना लेता था और अधा खाकर आधा मुनिम के लिए थाली में झुठा छोड़ देता था । मुनिम का मन थाली में छूटा हुआ खाना देखकर ललचाता था,पर उसकी इच्छा होने पर … Read more

फेसबुक के असली नकली चेहरे

देखते ही देखते हम 21वीं सदी के प्रथम दषक को पार कर हाईटेक युग में पहॅुच गए। आज चपरासी से चेयरमेन तक मोबाईल को ऊंगली से सहलाते नजर आते हैं। हर स्पर्ष का अलग संकेत एण्ड्राईव महोदय समझते हैं। पहले गाड़ी के बैल रस्सी के इषारे पर चलते थे। आज ऊंगली के इषारे पर विष्व … Read more

आजादी की वर्षगाँठ

स्वतंत्रता की 70 वीं वर्षगांठ पर उत्सव के पलों के बीच कुछ अप्रिय सवाल ऐसे झाँक रहे है जैसे किसी मेले को अबोध बच्चे अपनी खिड़कियों से निहार रहे हो। उत्सवधर्मिता की दलीलों में लालकिला से आम जन की जुबान नहीं, सामन्ती अंहकार के स्वर सुनाई दे रहे हैं। अंतर बस इतना है कि इन … Read more

आ गया स्वतंत्रता दिवस, कल चला जाएगा …

आज़ादी के 69 साल बाद आज दिन में 14 अगस्त को मैं जब शहर के कचहरी रोड से होता हुआ बस स्टैंड की तरफ जा रहा था तो पानी की बोतल खरीदने के लिए एक जगह रुका, देखा की पास ही एक धोबी की दुकान में एक व्यक्ति तिरंगा प्रेस कर रहा था जो की … Read more

कैसी आज़ादी-कौन सी देश भक्ति

एक दिन का दिखावा है-हर रोज़ सियापा है.. ANY WAYS — वन्दे मातरम्.. इंक़लाब जिंदाबाद, भारत माता की जय… मेरा भारत महान, झंडा उंचा रहे हमारा.. ————————- मैं तो किसी कांग्रेस, बीजेपी को नहीं जानता… मैं तो सिर्फ इतना जानता हूँ कि जो वादे किये वो वफ़ा हो जाएँ…. मैंने कार्ल मार्क्स को पढ़ा है, … Read more

कठेरिया का कालू

आखिर मिल ही गया कालू, मिलता क्यों नहीं , एक बिगड़े नवाब जो नवाबी से बेदखल किये जा चुके थे उनके वफ़ादार लेब्राडोर को कौन चुरा सकता था , धरती आसमान एक करदिया जाता , शुक्र है लेब्रा की बिरयानी नहीं बनती नहीं तो कालू किस डब्बे में पैक होकर किस देश को निर्यात हो … Read more

error: Content is protected !!