कबीर : एक अनोखा व्यक्तित्व

कबीर एक ऐसी शख्शियत जिसने कभी शास्त्र नही पढा फिर भी ज्ञानियों की श्रेणीं में सर्वोपरी। कबीर, एक ऐसा नाम जिसे फकीर भी कह सकते हैं और समाज सुधारक भी । मित्रों, कबीर भले ही छोटा सा एक नाम हो पर ये भारत की वो आत्मा है जिसने रूढियों और कर्मकाडों से मुक्त भारत की … Read more

कांग्रेस की इमरजेन्सी को तो हमने भी दी थी मात

मेरी उम्र 53 साल है और 40 वर्ष पहले जब 25 जून 1975 को देश में एमरजेन्सी लगी थी तब के माहौल की स्मृति अभी भी मेरे मस्तिष्क में है। तब मेरे पिता कृष्णगोपाल जी गुप्ता अपना पाक्षिक समाचार पत्र भभक प्रकाशित करते थे। उस समय उनकी निडर लेखनी का लोहा माना जाता था। अखबार … Read more

पुष्पा वल्लभ की सिंधी रचना का देवी नागरानी द्वारा हिंदी अनुवाद

सिन्धी: पुष्पा वल्लभ कुछ बि न…… मूँ वटि तोखे डियण लाइ कुछ बि न आहे न तनु, न मनु, न अखियूँ टंग, न पेरु, न बाँह ऐं न ही ज़बान जो ज़बान डेई निभाए न सघंदास ! संपर्क : सिन्ध हिन्दी अनुवाद : देवी नागरानी कुछ भी नहीं …… मेरे पास तुम्हें देने के लिए … Read more

आखिर कांग्रेस कर मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम चश्में से क्यों देखती है

जब पिछले एक माह से मुस्लिम धर्म गुरु योग को धर्म विरोधी बता रहे हैं, तब सवाल उठता हैं कि यदि निमंत्रण मिलता तो क्या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 21 जून को दिल्ली में राजपथ पर पीएम मोदी के साथ योग करते? अभी तो उपराष्ट्रपति कार्यालय का यही कहना है कि राजपथ के योग के कार्यक्रम … Read more

इन ‘ ललितों ‘ का तो एेसा ही है…!!

-तारकेश कुमार ओझा- उन दिनों किसी अखबार में पत्रकार होना आइएएस – आइपीएस होने से किसी मायने में कम महत्वपूर्ण नहीं था। तब किसी भी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी के कार्यालय के सामने मुलाकातियों में शामिल करोड़पति से लेकर अरबपति तक को भले ही अपनी बारी के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़े, लेकिन पत्रकार को … Read more

तो आप अपने पिता की कैसी संतान है

यूएनओ के प्रस्ताव पर प्रतिवर्ष 21 जून को भारत में फादर्स डे मनाया जाता है। यानि पिता का दिन। हालाकि फादर्स डे की संस्कृति पश्चिमी देशों की है, क्योंकि हमारी संस्कृति तो भगवान राम और भक्त श्रवण कुमार की है। पिता दशरथ के वचन के खातिर भगवान राम चौदह वर्ष के लिए वनवास चले गए … Read more

प्रजातंत्र की सुरक्षा, पुलिस कार्य प्रणाली पर निर्भर है..?

पुलिस का सीधा अर्थ सुरक्षा ऐजेन्षी से है । किसी भी देष की समाज की सुरक्षा केलिए समाज से ही प्रजातंत्र की रक्षा व जनता के न्याय केलिए कानून का पालन कराने केलिए जो दायित्व विभाग को दिया जाता है उसे हमे पुलिस बिभाग कहते हैं । पुलिस की परिभाषा अलग-अलग राष्ट्र में अपने तरह … Read more

यौन रोगो की बढ़ती समस्यायें

प्रकृति ने जींव की संरचना करते समय प्रत्येक जींव के निमार्ण करते समय उसके मुॅह नाक खान की व्यवस्था की है, जींव को जीवन जीने केलिए उसे हवा पानी भोजन की आवश्यकता होती है यह जरूर है कि कौन कौन जींव किस तरह से अपना जीवन व्यतीत कर लेते है लेकिन हम मानव है और … Read more

मौसम अपना – अपना …!!

-तारकेश कुमार ओझा- इस गलतफहमी में आप कतई न पड़ें कि मैं किसी समाजवादी आंदोलन का सिपाही हूं। लेकिन पता नहीं क्यों मुझे अपनी खटारा साइकिल से मोह बचपन से ही है। उम्र गुजर गई लेकिन आज न तो साइकिल से एक पायदान ऊपर उठ कर बाइक तक पहुंचने की अपनी हैसियत बना पाया और … Read more

छोटे साहब की शान में …….

छोटे साहब की शान में ……. देख लो अभी कुछ कुछ बढ़ने लगा हूं कदम दो कदम मैं भी चढ़ने लगा हूं चमक भले ही हो जुगनू जितनी हमारी बन के तूफान अंधेरों से लड़ने लगा हूं तकलीफों का खौफ न हमको दिखाओ नसीबा में अपने सितारे जड़ने लगा हूं हर तरफ देख के चालाकियों … Read more

कोई सपना आंखों में तैर गया है

कोई सपना आंखों में तैर गया है रोज मिलती हूं फिर भी बिखर गया है अक्सर तो होती नहीं मुलाकातें उनसे फिर भी एक ही चेहरा दिल में उतर गया है आसपास होती है मेरे कितनी ही हलचल पल पल मुझमें भी कोई संवर गया है जिंदगी भर ढूंढ़ा है मैने जिसे आजकल न जाने … Read more

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