‘अच्छे दिनों ‘ में आम – आदमी …!!
-तारकेश कुमार ओझा- पता नहीं क्यों तथ्यों व आंकड़ों के खेल से मुझे शुरू से ही एलर्जी सी रही है। गाहे – बगाहे खास कर बजट के दिनों में प्रबुद्ध लोग जब आंकड़े देकर बताते हैं कि पिछले साल के बनिस्बत इस बार विकास दर इतना बढ़ा या इतना गिरा तो मेरे पल्ले कुछ नहीं … Read more