यह कैसा भारत-रत्न ?

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक- सचिन   तेंदुलकर   को  भारत-रत्न    क्या  मिला,  अब कई अन्य  विभूतियों  के  लिए  भारत-रत्न की मांग होने लगी है।  लोग पूछ रहे हैं कि जब आपने सचिन को यह सम्मान देने  के लिए उसकी  नियमावलि में संशोधन  कर दिया  तो  फिर  जो लोग  पहले  से  इस सम्मान के योग्य हैं, उन्हें  आप  … Read more

अबला तेरी यही कहानी…

-अश्वनी कुमार- दुनिया भर में महिलाओं कि स्थिति को देखकर आज राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त द्वारा लिखी गई कविता “अबला जीवन तेरी  यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी” याद आ गयी कितनी प्रासंगिक लगती है ये कविता आज भी, जिस समय लिखी गयी थी उस समय कि बात तो समझ में आती है … Read more

शो मस्ट गो ऑन

-अब्दुल रशीद-  दिल्ली दरियागंज यूँ तो बेहद गतिशील इलाका जहां ठहराव का नामोनिशां तो दूर दूर तक नजर नहीं आता है. लेकिन मुझे तो वहीँ ठहराना था, मिलाना था ऐसे इंसान से जिसकी कलपना में चमक दमक भरी दुनियाँ का शोरगुल नहीं, जिसकी तपस्या में समन्दर सी गहराई तो दिखी लेकिन कोई मेनका नहीं.उसकी सोंच … Read more

नमो का विरोध आखिर क्यों?

प्रजातंत्र में जब सबकुछ जनता को ही तय करना है तब आखिर देशभर के नेता, बुद्धीजीवी, विचारक, समाजसेवी एवं अनेकों प्रकार के लोग आखिर मोदी विरोधी बयान क्यों दे रहे हैं? और यह बयानबाजी जब सात समुन्दर पार अंतर्राष्ट्रीय मीडियाओं द्वारा आने लगे वह भी एक प्रजातांत्रिक देश के लिए तो स्थिति का आंकलन स्वतः … Read more

रवीश कुमार की बात पर, मोहर नहीं हैं हाथ पर !

-निरंजन परिहार- रवीश कुमार बिहार में अपने गांव जाकर आए हैं। गांव में जो उन्होंने देखा, जाना, समझा, महसूस किया और पाया, वह पूरी बेबाक किस्म की ईमानदारी से अपनी कलम से निचोड़कर उन्होंने जस का तस पेश कर दिया। रवीश की बातों के सार को अपने शब्दों में पेश करते हुए एक लाइन में तो … Read more

इतिहास पर वर्त्तमान कि जीत?

-अब्दुल रशीद- सचिन तेंदुलकर यक़ीनन एक महान खिलाड़ी हैं,और उनका क्रिकेट के लिए दिया गया योगदान बहुमूल्य है। संन्यास या रिटायरमेंट एक नियति होता है जिससे नए पीढ़ी को मौक़ा मिलाता है। सचिन जैसे महान खिलाड़ी के संन्यास लेने पर लोगों का भावुक होना लाजमी है,लेकिन भावनाओं में बहकर इतिहास के महान व्यक्तिव को नज़र अंदाज … Read more

ब्‍लड प्रेशर को नॉर्मल रखे नीला रंग

कहते हैं कि स्‍वस्‍थ शरीर में ही स्‍वस्‍थ मस्तिष्‍क वास करता है। शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए हम तमाम जतन करते हैं। इस मामले में रंग भी हमारी सहायता करते हैं, क्‍योंकि रंगों का सीधा संबंध हमारे स्‍वास्‍थ्‍य, समृद्धि और खुशियों से होता है। बस, आवश्‍यकता है रंगों का संभलकर इस्‍तेमाल करने की। फेंग्‍शुई … Read more

राजनीतिक पतन की पराकाष्ठा हो चुकी है

दोस्तों राजनीती कि पराकाष्ठा देखे। यदि देश कि खातिर कोई शहीद होता है तो उसके परिवार को पुरुस्कार के रूप में सरकारी सहायता दी जाती जिससे उसका परिवार शहीद कि अनुपस्थिति में दुखी न हो और जिसे भी पुरुस्कार दिया जाता है वो अच्छे काम के लिए दिया जाता है लेकिन राजनीती में इस बार … Read more

उल्लास और जिंदादिली के पर्याय थे विजयदान देथा

-केदारनाथ सिंह- मैं अभी एक सप्ताह पहले जोधपुर गया था और जाने का उद्देश्य यही था कि विजयदान देथा जी से मिल सकूंगा. उनका गांव जोधपुर से करीब 60-70 किलोमीटर दूर है. मुझे बताया गया कि वृद्धावस्था के कारण अब उनसे बात नहीं हो पाएगी. वो अब लगभग मौन हो गए हैं. कुछ भी कहने पर उनकी … Read more

भुखमरी को बनाया समुदाय का सवाल

  -बाबूलाल नागा- सदियों से भूख एवं गरीबी के कुचक्र में फंसे बारां जिले के सहरिया आदिवासी परिवारों ने भुखमरी को समुदाय का सवाल बना लिया है। अब वे पूरे सालभर के लिए न केवल अपने परिवारों बल्कि गांव व समुदाय के लिए भी अनाज एकत्रित कर रहे हैं। इसके लिए सहरियाओं ने ‘अनाज बैंक’ … Read more

अनुभवों की सुरभि को सलाम

सम्माननीय वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी श्री लक्ष्मण भंभाणी साहब के संपादन में 14 वर्ष से प्रकाशित हो रही अर्द्धवार्षिक पत्रिका सिंधी साहित्य सुरभि सिंधी का उत्कृष्ट साहित्य सिंधी में उपलब्ध करवा रही है। सुरभि का अप्रैल 2013 का अंक हिंदी सिनेमा में सिंधी फनकारों के फन को, उनके परिश्रम को, उनकी प्रतिभा को पाठकों के सम्मुख … Read more

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