तो किसी दिन प्रकृति अपना बदला जरूर लेगी

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
वर्ष के अंतिम दिनों में जब राजस्थान की जनता नोट बंदी से उभरने की कोशिस में लगी थी और नए वर्ष के स्वागत की तैयारी की व्यस्तता में लगी थी और शीतकालीन छुट्टीयां के आनन्द के बिच और अभी क्रिसमश की खुमारी भी नहीं उतरी थी की अचानक 26 दिसम्बर 2016 की रात्रि 9.45के लगभग राजस्थान के कई इलाको में भूकम्प के हलके झटके महसूस किये गए । घबराहट में लोग जान बचाने के लिए घरो से बाहर आ गए ।
इससे पहले भी कुछ दिन पहले राजस्थान में भूकम्प के झटके आ चुके हे लेकिन उनकी तीव्रता काफी कम थी इस कारण कइयो को अहसास हुवा और कइयो को नहीं हुवा ।
जिस तरह राजस्थान में पिछले 5 वर्षो में भूकम्प की संख्या में बढ़ोतरी हुई हे उससे कही ऐसा तो नहीं लगता की आने वाले समय में भूकम्प की संख्या मे और बढ़ोतरी हो सकती हे और उसकी तीव्रता भी ज्यादा हो जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
*सोचने वाली बात यह हे की क्या धीरे धीरे राजस्थान भी भूकम्प का केंद्र बनता जा रहा हे ?*
जिस तरह से राजस्थान में खनिज पदार्थो और मार्बल, ग्रेनाइट, और विभिन्न माइन्सो से अन्य प्रकार के पत्थरो के साथ सिरेमिक उद्योग के काम आने वाले पत्थरो और लाइम स्टोन सहित सीमेंट उद्योग के लिए जिस तरह से पहाड़ो का दोहन हो रहा हे और उस कारण से धरती का बेलेंस बिगड़ रहा हे यदि इस पे अंकुश नही लगाया तो प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने की संभावना ज्यादा बलवती होती जा रही हे । जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ सकता हे ।
पिछले कुछ वर्षो से अजमेर ब्यावर मसूदा भीम, देवगढ़ रायपुर के इलाको में जोरदार धमाको के कारण यह इलाका दहल चुका हे लेकिन आज तक इनकी जांच नहीं की गई और अनेक शिकायतों के बाद भी प्रशासन इन धमाको के प्रति गंभीर नजर नहीं आया ।
यह झटका 26 तारीख को आया और इतिहास गवाह हे इससे पहले भी 26 तारीख को दुनिया में कई भूकम्प के कई झटके रिकार्ड हे । वेज्ञानिको ने भी माना हे की वेसे तो भूकम्प कभी भी आ सकता हे लेकिन 26 तारीख का संयोग जो हे उससे इनकार नहीं किया जा सकता हे । गुजरात इस बात का गवाह हे की उसने 26 तारीख के भूकम्प में कितनी बर्बादी झेली हे ।
प्रकृति के संतुलन को अगर समय रहते नहीं सम्भाला गया तो किसी दिन प्रकृति अपना बदला जरूर लेगी ।
*हेमेन्द्र सोनी @ BDN ब्यावर*

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