
दावेदार तो वफादार ही होगा। और हो भी क्यों ना भाई साहब की साफ व स्पष्ट छवि हमेशा यह संकेत देती है कि पद की लालसा वालों की उनके यहां कोई जगह नहीं है।
आप सभी समझ रहे हैं, आप भी भाजपा अजमेर के वाट्स ऐप ग्रुप से जुड़े हैं। सोशल मीडिया चाची अपना अपना रोल बखूबी खेल रही हैं। अरे पहले मौहल्ले में एक चाची होती थी, अब मॉर्डन टेक्नोलॉजी के जमाने में कई चाचियां आ गई हैं। कटाक्ष, समीक्षा और ताने हर आदमी मजे लेने के मूड में है।
हां साहब मानसून का मौसम है, मजे तो आएंगे ही।
आज की चर्चा में बार बार ये आवाज खुली आखों में भी आ रही है।
बगल में छोरा और गांव में डिंडोरा, कौन बनेगा सेनापति, मैं हूं ना……
आपका बलराम