sohanpal singhजब एक कुशल राजनितिक स्व. श्री वल्लभ भाई पटेल यानि कि लौह पुरुष सरदार पटेल के विषय मोदी जी या उनकी पार्टी के लोग उनका महिमा मंडन करते हैं तो ऐसा ही प्रतीत होता है की ये लोग पटेल की आड़ में कांग्रेस और उसके नेतृत्व को गाली ही दे रहे हैं ? क्योंकि सरदार पटेल एक राष्ट्र भक्त ही नहीं कुशल प्रशासक भी थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ समन्वय के साथ काम करते हुए 565 देसी रियासतों का विलय जिस कुशलता से किया वह अंग्रेजों के मुहँ पर एक तमाचे जैसा ही था ! इसलिए उनकी तुलना या यह कहना की अगर उस समय वह प्रधानमंत्री होते तो देस की हालात कुछ और होती एक दम ही गलत और बेतुका है क्योंकि इतिहास को पढ़ कर रोने धोने से कुछ हासिल नहीं किया जा सकता ! इतिहास से सबक लिया जाता है ! तो क्या वर्तमान में बीजेपी ने इतिहास से कोई सबक लिया है या पटेल को रो रो कर अपनी गल्ती पर पर्दा डालना चाहते है क्योंकि अब बहस इस बात की होनी चाहिए की श्री आडवाणी और मुरलीमनोहर की जोड़ी श्रेष्ठ होती या मोदी और राजनाथ। सफल हैं ? हाँ यह माना जा सकता है की मोदी और राजनाथ की जोड़ी ने जिस प्रकार से देश को अशहिष्णुता / साम्प्रदायिकता की आग में धकेला है वह आडवाणी और जोशी नहीं कर सकते थे ?.
उदहारण सामने है देश का बुद्धिजीवी वर्ग सरकार और उसकी पितृ संघटन की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं है और विरोध स्वरुप अपने सम्मान भी लौटा रहा है? इस लिए वर्तमान नेतृत्व को सरदार। पटेल को महिमामंडित करने से बाज आना चाहिए क्योंकि महान व्यक्ति को कितना भी सम्मान दो वह महान ही रहता है? सम्मानित उन्हें किया जाना चाहिए जो वर्तमान में अपमानित किये गए हैं और जिनकी छाती पर पैर रख कर मोदी जी सत्ता के सिंहासन पर बैठे है?