हथकरघा उत्पादों को बढावा देने के लिए युवाआंे की भागीदारी जरूरी

अजमेर, 4 अगस्त। हथकरघा वस्त्रा हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक और वाहक हैं। हथकरघा वस्त्रों के उपयोग को बढावा देने में युवाओं को भागीदार बनना चाहिए। व्यवहार में हाथों का कमाल, हाथ की सफाई और हाथों में जादू से संपादित किसी भी कार्य से प्रभावित होकर उसका उपयोग करना हमारे स्वभाव में है। इस प्रक्रिया से बने सामानों में हथकरघा वस्त्रों का उपयोग हम सबके लिए उपयोगी साबित हो सकता है। बुनकर की लगन और देश की मिट्टी की खुशबू के साथ तैयार हथकरघा वस्त्रों का हमें अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। भारत सरकार के क्षेत्राीय प्रचार निदेशालय की ओर से हथकरघा वस्त्रा और उत्पादों को बढावा देने के लिए हथकरघा दिवस के उपलक्ष्य में किशनगढ, अजमेर स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान के आॅडिटोरियम में अयोजित जागरूकता कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए विवि के कुलपति प्रोफेसर अरूण के पुजारी ने यह बात कही। निदेशालय की ओर से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के उपलक्ष्य में अजमेर जिले के तीन हथकरघा बुनकरों श्री औंकारलाल, शिवराज और सेवाराम को अथितियों ने शाॅल, स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्रा देकर सम्मानित किया।
क्षेत्राीय प्रचार निदेशालय की निदेशक ऋतु शुक्ला ने युवाआंे को संबोधित करते हुए बताया कि आधुनिकता और तकनीक के इस युग में हथकरघा उत्पादों को बढावा देना बहुत आसान है। हथकरघा उत्पादों को उपयोग करने के लिए सोशियल मीडिया और ई बाजार जैसे माध्यम उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ग्रामीण संस्कृति और वातावरण के अनुकूल होने के कारण हथकरघा वस्त्रों का उपयोग युवाओं को सबसे अधिक करना चाहिए ताकि हम सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए बुनकरों को समृद्ध बनाने में भागीदार बन सके। उन्होंने कहा कि भारतीय वस्त्रा उद्योग में 15 प्रतिशत हिस्सा हथकरघा वस्त्रों का है और युवाओं की पहल से शीघ्र ही इसे 20 प्रतिशत तक बढावा जा सकता है। उन्होंने बताया कि हथकरघा उत्पादों की गुणवत्ता बढाने और बेहतर बाजार का लाभ लेने के लिए बुनकरों को इंडिया हैंडलूम ब्रांड के साथ जुड़ना चाहिए।
इण्डियन इन्सटीट्यूट आॅफ क्राफ्ट एवं डिजाईन जयपुर की निदेशक डा. तूलिका गुप्ता ने बताया कि प्राचीनकाल से हथकरघा वस्त्रा और ब्रांड हमारे देश में प्रचलित हैं। 21वीं सदी में आधुनिक फास्ट फैशन के स्थान पर हैंडलूम को ज्यादा पसन्द करने लगे हैं। इससे लगता है कि हमारे संस्कार और संस्कृति स्वभाविक रूप से विकास पर प्रभावी असर डालती है। हैंडलूम प्रोडक्ट को बढावा देने में युवाशक्ति एक प्रभावी माध्यम है। इसलिए युवाओं को प्रयासपूर्वक हथकरघा उत्पादों को अपनाना चाहिए। निफ्ट, जोधपुर की शिखा गुप्ता और आकांक्षा पारीक ने हैंडलूम के क्षेत्रा में संस्थान द्धारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि बुनकरों को सहयोग देने, हथकरघा उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने और कारीगरों केे कौशल विकास के लिए अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं।
कार्यक्रम के आयोजक एवं क्षेत्राीय प्रचार अधिकारी, जोधपुर राजेश मीणा ने विश्वविद्यालय के 500 युवाओं को हथकरघा उत्पादों का उपयोग करने और दूसरों को पे्ररित करने के लिए शपथ दिलाई। संदर्भ वक्ताओं द्वारा दी गयी जानकारी को अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता तथा पूर्व प्रचार के दौरान आयोजित पेंटिंग और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया इनमें सफल प्रतिभागियों को केन्द्रीय विश्वविद्याल राजस्थान के कुलपति प्रोफेसर अरूण के पुजारी एवं निदेशक ऋतु शुक्ला ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

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