कोरोना की विभीषिका में कारगर साबित हो सकती है आयुर्वेद पेथी

केकडी 28 अप्रैल(पवन राठी)
एक तरफ जहां पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं भारतीय परिपेक्ष में प्राचीन काल से ही चली आ रही पुरातन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पेथी इस समय काफी उपयोगी व महत्वपूर्ण हो सकती है।आमजन का मानना रहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में कोरोना की पहली लहर के दौरान आमजन को काफी आकर्षित किया था वह जगह-जगह आयुर्वेदिक काढा सहित विभिन्न औषधियों का वितरण किया गया था जो लाभकारी भी सिद्ध हुआ था। अब कोविड 19 की दूसरी लहर को देखने के बाद महसूस हुआ कि पहली लहर आम जन को ज्यादा नुकसान व भयभीत नही कर पाई थी इसमें आयुर्वेद का भी योगदान रहा था, अब जब दूसरी लहर काफी गंभीर नजर आ रही है ऐसे में होम आइसोलेट रोगी एलोपैथी दवाओं के साथ-साथ अपने घरेलू नुस्खे व आयुर्वेदिक काढ़े का भी अपने स्तर पर उपयोग कर रहे हैं तथा अपने स्तर पर ही भगवान धन्वंतरि के प्रसाद आयुर्वेद औषधियों का उपयोग कर स्वस्सेथ ह्यो रहे है किंतु चोरी छिपे में।वर्तमान में प्रशासन व राजस्थान सरकार ने जो सरकारी आयुर्वेद औषधालय खोल रखे हैं उनका जमकर उपयोग होना चाहिए लेकिन हो उल्टा रहा है सरकार के कर्ता-धर्ता कोरोना से निबटने में इतने तल्लीन है कि लगता है उनका ध्यान आयुर्वेद की तरफ जा ही नही पा रहा है इसीलिए तो आयुर्वेद औषधालयों के डॉक्टरों को तथा कर्मचारियों को कोविड सेंटर में ऑक्सीजन की निगरानी सहित गेर चिकित्सकीय कार्यो पर लगा रखा है। पुराने बुजुर्गों की माने तो इस समय आयुर्वेदिक काढा व औषधियां काफी कारगर सिद्ध हो सकती है।प्रदेश में अभी 29 हजार रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी है इनको इस महामारी में कोरोना के लक्षणों के आधार पर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से भी इलाज की अनुमति दी जाती है और एक चिकित्सक यदि प्रतिदिन एक व्यक्ति को ही उस स्टेज में जाने से पहले जहां आक्सीजन या वेंटिलेटर की आवश्यकता हो या हॉस्पिटल में भर्ती होने व बेड की सुविधा की जरूरत से बचा जा सके तो ये संख्या 25 हजार प्रतिदिन तक हो सकती है।रोगियों को अफरा तफरी व भयभीत होने से बचाने के लिए इनको आयुर्वेद पेथी से इलाज की इजाजत देनी चाहिए,क्योकि एलोपैथी वालो को भी तो बिना कोविड 19 के उपचार में सक्षम दवाई के बिना भी लक्षणों के आधार पर कई दवाओं के प्रयोग की अनुमति है? अब जब कोविड-19 पहले की अपेक्षा तीव्र गति से अपना रौद्र रूप दिखा रहा है तो ऐसे मे इन आयुर्वेद औषधालयों में जहाँ पहली बार उच्च क्वालिटी मेडिसीन जिसमें से आयुष -64, महासुदर्शन चूर्ण ,संशमनी वटी,संजीवनी वटी,त्रिभुवन किर्ती रस,गोदन्ती,हरीद्राखण्ड,गंधक रसायन,वातश्लेष्मीक ज्वर हर क्वाथ ,श्वासान्तक चूर्ण जैसी विशिष्ट प्रभावशाली बिना दुष्प्रभाव वाली औषधियां है उन्हें चिकित्सकीय परामर्श से कोविड -19 के मरीजों को लक्षणानुसार देकर लाभान्वित किया जा सकता है ,उनके लिये अगर शासकीय अनुमति मिल जाये तो जनता को अवश्य लाभ मिलेगा एवम् प्रशासन पर दबाव कम होने में भी मदद मिल सकती है ।
केकडी क्षेत्र के विश्व प्रसिद्द कालेड़ा कृष्णगोपाल आयुर्वेद चिकित्सालय के वैद्य राजेश शर्मा ने बताया कि कोविड 19 एक नया रोग है यह पूर्व में नही था लेकिन इसमें पाए जाने वाले लक्षणों से मिलते जुलते लक्षणों वाली बीमारियों का आयुर्वेद मे पूर्व में भी इलाज होता था वैसे लक्षणों की औषधियों व चिकित्सकिय परामर्श के अनुसार रोगी इसकी पालना करे तो कोविड का भी इलाज आयुर्वेद पद्दति से हो सकता है। वैद्य शर्मा ने बताया कि कॉमेडी में जैसा कि बताया गया है कि यह एक प्रकार का वायरस है तो इसके लिए सबसे पहली औषधि एंटीवायरस दवा होनी चाहिए तो वह आयुर्वेद में त्रिभुवन कीर्ति रस उपलब्ध है जो अच्छे एंटी वायरस का कार्य करती है इसी प्रकार दूसरा तत्व एंटीबायोटिक होता है तो उसके लिए आयुर्वेद में मां सुदर्शन घनवटी उपलब्ध है इसको लिया जाना चाहिए इसी प्रकार कोरोना से फेफड़ों पर असर होता है इसके लिए आयुर्वेद में सितोपलादि चूर्ण उपलब्ध है जिसे शहद के साथ लिया जाता है और शहद के साथ यह दवा शुगर के पेशेंट भी ले सकते हैं साथ ही चौथा प्रभाव होता है गले में दर्द तो इसके लिए आयुर्वेद में श्वास कुठार रस उपलब्ध है इसका उपयोग किया जा सकता है और पांचवा सबसे महत्वपूर्ण औषधि है काढा जो आयुर्वेद रेडीमेड में मिलता है लेकिन इसको घर में भी अदरक लॉन्ग इलायची तुलसी हल्दी आदि से तैयार कर लिया जा सकता है ।साथ हिं प्रारम्भिक लक्षण महसूस होते ही कोविड रोगी को कोविड की मनोस्थिति मानकर खुद को घर मे पृथक रखना प्रारम्भ कर देना चाहिए और पौष्टिक ताजा आहार लेना चाहिए।एलोपैथी में भी यही होम आईसोलेशन है।
आयुर्वेद से इलाज के लिए वर्तमान में कई आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों को प्रशासन व चिकित्सा विभाग ने गैर चिकित्सकीय कार्यों में ड्यूटी पर लगा रखा है जबकि वैसा कार्य कोई भी राजकीय कार्मिक कर सकता है व वहा अस्थाई डेली वेजेज के युवाओ को भी लगाकर यह कार्य करवाया जा सकता है और रोजगार भी प्रदान किया जा सकता है,तथा आयुर्वेद चिकित्सको व कर्मियों को अविलम्ब अपने मूल कार्य पर ड्यूटी के आदेश जारी किए जाए। सरकार चाहे तो उपखंड मुख्यालय पर 50 से 100 बेड और जिला मुख्यालय पर 200 से 500 बेड के आयुर्वेदिक कोविड सेंटर खोले तथा वहां आयुर्वेद डॉक्टर कंपाउंडर को लगाया जाए तथा औषधियों के लिए मुक्त हस्त्थ से पूरा बजट दिया जाए तो दो-तीन माह में ही इसके चमत्कारी परिणाम सामने आ सकते हैं जिससे प्रशासन व एलोपैथी विभाग का बोझ भी हल्का हो जाएगा। कोविड 19 से भयभीत आमजन को भी राहत मिल सकती है।आयुर्वेद
एक स्थापित प्रचीन चिकित्सा पध्दति है ओर
सरकार के पास अभी भी योग्य आयुर्वेद चिकित्सको की उपलब्धता व चिकित्सालय तथा प्रचुर औषधियां उपलब्ध है ऐसे में कुछ कोविड 19 रोगियों को सरकार अपने श्रेष्ठ आयुर्वेद चिकित्सको को इलाज करने हेतु कहे तो इसके श्रेष्ठ परिणाम सामने आएंगे बस जरूरत सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति की है।

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