गांधीवादी कर्तव्यनिष्ठता सत्यता और सादगी की प्रतिमूर्ति जननायक शास्त्री जी के जीवन के मर्मस्पर्शी प्रेरणादायक संस्मरण part 2

dr. j k garg
लाल बहादुर जी ने ना कभी क्रोध किया और ना ही कभी कोइ शिकायत की थी | उनका मानना था कि “ अगर हम भष्टाचारको गम्भीरता से लें तो हम जरुर अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर सकेंगें |शास्त्री जी का मानना था कि सच्चे लोकतंत्र में कभी भी हिंसा से कोई विवाद सुलझाया नहीं सकता है , परस्पर संवाद वार्तालाप से ही समस्याओं को दूर किया जा सकता है | विभिन्न विचार धारा वाले समूहों में परस्पर अविश्वास की जगह संवाद होना चाहिये | बचपन में ही नन्हें लालबहादुर ने तय कर लिया कि वो कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे दूसरों को नुकसान नहीं हो | आत्मसम्मान के धनी आजादी के दिवाने शास्त्री जी स्वतंत्रताआन्दोलन के दौरान जेल भी गये थे 2 अक्तूबर 2022को जननायक शाष्त्रीजी के 118 वें जन्म दिन पर 134 करोड़ भारतियों का उनके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन और श्रद्धा सुमन

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