जन्म से पहले ही तय हो जाती है हमारी यें मौत,
आटा साटा की कुरीतियों पर लगाओ यह रोक।
पढ़ें लिखें होने पर भी क्यों अनपढ़ बन रहें लोग,
सब-मिलकर विचार करों इस पर लगाओ रोक।।
कई सारे घर और परिवार इससे हो रहें है बर्बाद,
ऐसी कुप्रथा बन्द करें जो है सबके लिए ख़राब।
चला रहें ऐसी प्रथाएं आज भी अनपढ़ व गंवार,
भूल-जाते है बच्चों का भविष्य पीकर यें शराब।।
आटा-साटा का मतलब क्या होता बता देते हम,
उसकी बहन इस घर ब्याहे जिसकी उसके-घर।
एक लड़की के बदली में लड़की लेना देना होता,
जोड़ भले ही न मिलें पर बनाकर लाते बहु-घर।।
आखि़र कब तक बनती रहेंगी लड़की यें मोहरा,
बेटे की शादी हेतु बंधा देते किसी के भी सेहरा।
कोई उम्र में दोगुना होता कोई होता बहुत छोटा,
ख़ुद की जान वह लें रही सभी सोचें इसे गहरा।।
कोई छुपा लेती कोई कर देती स्वयं के दर्द बया,
कोई घुट-घुट कर भी ज़िंदा रहती न वह मरती।
बेटियों की कमी रहने के कारण होते रहते सोदे,
परिवार सुखी से रहें इसलिए दुख सहती रहती।।
सैनिक की कलम ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
ganapatlaludai77@gmail.com