हास्य-व्यंग्य
खबर है कि अब टमाटर भी लाल पीले हो रहे है. कोई कह रहा है कि सब्जीमंडी में इसके दर्शन दुर्लभ है तो कोई कह रहा है कि यह रसोईघर से नजर चुरा रहा है. कौन बहकाकर रहा है उसे ? कही यह करतूत प्याज की तो नही है क्योंकि पिछले दिनों उसके भी भाव ऊंचे हो रहे थे. वैसे प्याज की संगत का भी असर हो सकता है. प्याज की पैदाइश अन्डरग्राउन्ड है. इन छुपे एजेन्डा वालों का कुछ पता नही, क्या कर बैठे. कुछ वर्षों पूर्व ‘इंडिया शाइनिंग’ वालों को पता ही नही चला और प्याज की वजह से उनकी सरकार चली गई. वैसे टमाटर कोई छोटी-मोटी चीज नही है. लाल रंग का है लेकिन बडे ठाठ से हरी सब्जी परिवार के बीच बैठा हुआ है और अकेले इसी की हिम्मत है जो आदमियों की तरह लाल-पीला होता है. यूरोप के स्पेन आदि देशों मे तो ला टोमाटिना नाम से उत्सव भी मनाया जाता है. इनदिनों कई स्थानों पर इसके भाव 125 रू किलो है जबकि केन्द्र सरकार का दावा है कि 100 शहरों में इसके भाव 30 रू. किलो ही है. शायद इसी वजह से यह लाल-पीला हुआ हैं. यह भी सीबीआई की जांच का विषय है कि चुनाव के दिनों में सडे-गले टमाटर महंगे क्यों मिलते है.

बहरहाल कहने का मकसद यह है कि इन प्याज-टमाटरों को कौन समझायें कि अपने भाव बढाकर इतनी बेरूखी ना दिखायें. वैसे भी अच्छे दिनों के फेर में पेट्रोल-डीजल-गैस आदि ने पहले ही नाक में दम किया हुआ है.