
दुनिया का हर जख्म एक दिन भर जाता है
किसी के मरने पर कोई साथ मर नहीं जाता है
जमा कर ले बेशुमार नेकी तू
जितना जो कुछ जमा करता है वही तो वापस पाता है
नेक दिल बनने में क्या परेशानी है तुझे
किसी का हमदर्द बनने में तेरा क्या जाता है?
जिंदगी ताउम्र चलने वाली एक जंग ही तो है
जिसका गम और खुशी से बड़ा ही खूबसूरत नाता है
लानत है तेरे जीने पर ‘श्याम’
फकत चंद कागज के टुकड़ों की खातिर बिक जाता है!
– श्याम कुमार राई
“सलुवावाला”