संगीत का कोई धर्म, मजहब या सरहद नही होता

कण कण में होता है संगीत – स्वपन चौधरी

yaifaकोलकाता : हाल ही में यमन आर्ट इंस्टिट्यूट फॉर फाइन आर्ट के बैनर तले आयोजित संगीतमय मंच पर अपने ताल पर श्रोताओ को थिरकते हुए पंडित स्वपन चौधरी ने कहा की संगीत का कोई मजहब या धर्म नही होता न ही कोई सरहद संगीत को बांध सकती है, वो तो कण कण में वास करता है हवा से लेकर पानी तक धरती से आसमान तक हर कही है संगीत ही संगीत है, श्री चौधरी ने जिस तरह से अलग अलग अंदाज में तबला की थाप पर लोगो को थिरकने पर मजबूर कर दिया तो वही पद्मविभूषण संगीत मार्तण्ड पंडित जसराज की धरोहर कहलाये जाने वाले दक्षिण भारत सहित विश्व में गायन के साथ अपने संगीत निर्देशन का लोहा मनवा चुके पंडित रमेश नारायण भी प्रथम बार पश्चिम बंगाल की धरा पर अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे जहा श्री रमेश ने राग बैरागी में दो बंदिश के साथ शमा बांधना शुरू किया तो दरबारी (शिवोहम) पर शमारोह को विराम दिया, वही टीवी रियलिटी शो की विजेता रही मधुश्री नारायण ने भी पहली बार बंगाल में अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसके चलते श्रोतान ने मधुश्री को मधुर कंठमलिका का नाम दे डाला, समारोह में पंडित स्वपन चौधरी का होर्मोनियम पर जहा हिरणमय मित्र ने साथ दिया तो वही पण्डित रमेश नारायण व मधुश्री नारायण का होर्मोनियम पर रतन भट्टाचाय एवं तबला पर आचार्य आदित्य नारायण बनर्जी ने साथ दिया. ज्ञातव्य रहे की उक्त समारोह प्रतिवर्षानुसार यमन आर्ट इंस्टिट्यूट फॉर फाइन आर्ट के संस्थापक स्व. गोपालनाथ बैनर्जी की स्मृति में आचार्य आदित्यनारायण बैनर्जी द्वारा संगीत की महक से देश दुनिया को महकने के सन्दर्भ में आयोजित किया जाता है.

संदीप बैनर्जी
9981966140

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