ईएसजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एंटरप्राइस इन्नोवेश चैलेंज में प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तन का आह्वान किया गया

नयी दिल्ली, जनवरी, 2022 आईओटी एवं एआई के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस ने किट्स (कर्नाटक इन्नोवेशन एंड टेक्नोलॉजी सोसाइटी) और नासकॉम के साथ मिलकर एंटरप्राइस इन्नोवेशन चैलेंज (ईआईसी) का दूसरा संस्करण लांच किया जिसमें पर्यावरण, सामाजिक एवं गवर्नेस (ईएसजी) लक्ष्यों को हासिल करने पर जोर दिया गया है। कारोबारी एवं कंपनियां अपने निवेश के नैतिक एवं टिकाऊ प्रभाव की गणना करने के लिए ईएसजी उपायों को अपना रही हैं।
वर्ष 2021 में शुरू ईआईसी का लक्ष्य भारतीय उद्यमियों द्वारा सृजित नवप्रवर्तनों का उपयोग करना और अनूठे स्टार्टअप्स एवं उपक्रमों के बीच सतत संबंध को पोषित करना है। ईआईसी चैलेंज के वर्चुअल उद्घाटन सत्र में प्रख्यात पैनलों ने राष्ट्र के ईएसजी लक्ष्यों में प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका की वकालत की है। उपयोग के मामलों पर गहना चर्चा की जाएगी और सबसे सराहनीय एवं किफायती अनूठे समाधान को छांटे जाने तक इनका मूल्याकन किया जाएगा। इच्छुक इकाइयां इन उपक्रमों द्वारा परिभाषित ईएसजी चुनौतियों से निपटने और सुधार लाने के लिए इन समाधानों का लाभ उठाएंगी।
ईएसजी लक्ष्यों को हासिल करने में प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका की वकालत करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिजिटल इंडिया के सीईओ श्री अभिषेक सिंह ने कहा, जैसा कि हम परिपक्व होकर सही मायने में एक वैश्विक अर्थव्यवस्था वाला देश हो गए हैं, ईएसजी हमारे उद्योग के लिए और हम सभी के लिए शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक होगा। हाल ही में कोप26 में हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने शून्य उत्सर्जन की प्रतिबद्धता जाहिर की है और इसके लिए सरकार एवं उद्योग सहित हममें से प्रत्येक को यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम करना होगा कि हम एक टिकाऊ एजेंडा को आगे बढ़ाएं जोकि ना केवल हमारी मौजूदा जरूरतों को पूरा करे, बल्कि भावी जरूरतों का भी ख्याल रखे। निगमित संचालन में भी वास्तव में हमें इस बात की जरूरत है कि यदि हमारे यूनिकॉर्न को सही मूल्य का सृजन करना है और यदि हमारे स्टार्टअप्स को दुनिया में सर्वोत्तम बनना है तो नैतिक कॉरपोरेट गवर्नेंस मानक इसका बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बनें। मुझे पूरा विश्वास है कि इस एंटरप्राइस इन्नोवेशन चैलेंज से निकलने वाले समाधान ना केवल कंपनियों के लिए बल्कि सरकार के लिए भी मददगार साबित होंगे।
डिजिटल इंडिया के सीईओ श्री अभिषेक सिंह के अलावा इस उद्धाटन सत्र में नासकॉम की अध्यक्ष श्री देबजानी घोष, टेरी की महानिदेशक डॉक्टर विभा धवन, हिंदुस्तान जिंक के सीईओ श्री अरूण मिश्रा, ईएसजी टेक्नोलॉजी की वैश्विक प्रमुख सुश्री मोना सोनी, टेक महिन्द्रा के सीएसओ श्री संदीप चन्द्रा एवं अन्य प्रख्यात उद्योग विशेषज्ञ शामिल हुए।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नासकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष ने कहा, आज ईएसजी ना केवल सरकारों के लिए, बल्कि हमारे ग्राहकों, निवेशकों और देशभर में टेक उद्योग के कर्मचारियों के लिए शीर्ष प्राथमिकता बन गया है। ईएसजी को लेकर बातचीत में खासी तेजी आई है और कंपनियां उन वेंडरों और साझीदारों के ईएसजी निष्पादन को लेकर सतर्क हैं जिनके साथ वे काम करने की इच्छुक हैं। साथ ही निवेशक भी निवेश बढ़ाने के लिए ईएसजी पर ध्यान दे रहे हैं। अकेले भारत में ईएसजी फंड के प्रबंधन अधीन संपत्तियां महज एक वर्ष में ढाई गुना बढ़ी हैं। वित्त वर्ष 2020 में यह 27.5 करोड़ डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 65 करोड़ डॉलर पहुंच गई हैं।
टेरी की महानिदेशक डॉक्टर विभा धवन ने कहा, ईएसजी के लिए सही दिशा में बढ़ने के लिए सबसे मौलिक एवं महत्वपूर्ण चीज सोच है। एक समाज के तौर पर हमारे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही मानसिकता अपनाने की जरूरत है। वहीं औद्योगिकी दृष्टिकोण से ना केवल उत्पादन और प्रक्रिया, बल्कि कच्चा माल को भी हमारे ईएसजी लक्ष्यों के नजरिये से देखने की जरूरत है।
हिंदुस्तान जिंक के सीईओ श्री अरूण मिश्रा ने कहा, कंपनियों का आकलन उनके ईएसजी स्कोर के जरिये करने के रूख में खासी तेजी आई है। हमारे उद्योग में डिजिटल प्रौद्योगिकियां ईएसजी लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और साथ ही इन लक्ष्यों को लेकर जागरूकता बढ़ाकर समाज को भी इसमें शामिल करना है।
ईएसजी टेक्नोलॉजी, एसएंडपी ग्लोबल सस्टेनेबल 1 की वैश्विक प्रमुख सुश्री मोना सोनी ने कहा, अब पहले से कहीं अधिक निवेशक और कंपनियां साक्ष्य आधारित अंतर्दृष्टि, उच्च गुणवत्ता के आंकड़े और उन्नत विश्लेषण की दिशा में प्रयासरत हैं जिससे टिकाऊपन एवं कारोबारी निष्पादन को जोड़ते हुए रणनीतियां बनाई जाएं और निर्णय किए जाएं। इस तेजी से उभरते ईएसजी बाजार में प्रगति बढ़ाने और नवप्रवर्तन को सहयोग देने में प्रौद्योगिकी एक मुख्य कारक होगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किट्स (कर्नाटक इन्नोवेशन एंड टेक्नोलॉजी सोसाइटी), कर्नाटक सरकार और नासकॉम के साथ मिलकर की गई इस पहल का लक्ष्य इस क्षेत्र में नवप्रवर्तन को बढ़ाना देना है। इस सत्र में कुछ अनूठे मामले भी पेश किए गए जैसे टिकाऊ पाम तेल की दिशा में बाजार में बदलाव जहां टिकाऊ पाम तेल और जैव विविधता संरक्षण, जलवायु के बीच लिंकेज स्थापित करना और कैसे युवाओं का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जा सकता है और इस मुद्दे पर संभव कार्रवाई की जा सकती है। दूसरा उपयोग का मामला नोवार्टिस द्वारा पर्यावरण का टिकाऊपन-तापीय अक्षय ऊर्जा शीर्षक से पेश किया गया। इसमें प्राकृतिक गैस, डीजल और अन्य कार्बन उत्सर्जन स्रोतों के विश्वसनीय विकल्पों से तापीय ऊर्जा पैदा करने की संभावना तलाशने पर जोर दिया गया। वहीं डियाजियो द्वारा कम उत्सर्जन की दुनिया से शून्य उत्सर्जन की ओर तेजी से रूख के उपयोग के मामले को पेश किया गया। इसमें कंपनी के प्रत्यक्ष परिचालन में शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के प्रयासों को रेखांकित किया गया।

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