*नए निदेशक के आते ही एम्स दिल्ली में शुरू हो गई बदलाव की बयार*

*प्रदीप जैन*
डॉ. एम. श्रीनिवास को ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (एम्स) का नया निदेशक बन गया है. एम्स में आते ही उनकी कार्यशैली का असर भी दिखने लगा है. एम्स में नए निदेशक की नियुक्ति के बाद काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. मरीजों की सुविधा और बेहतरी के लिए कई बदलाव किए जा रहे हैं. इसी के तहत फैसला लिया है कि मरीजों को 300 रुपये तक का फ्री इलाज दिया जाएगा.

प्रदीप जैन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज करवाने वाले लोगों के लिए एक काम की खबर है. नवंबर के महीने से ओपीडी का पर्चा बनवाने के लिए कोई भी शुल्क नहीं देना होगा. वहीं, अब किसी भी व्यक्ति का 300 रुपये तक का इलाज फ्री में होगा. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा लिए गए इस फैसले से हजारों मरीजों को फायदा मिलेगा. बता दें, इससे पहले ओपीडी में पर्चा बनवाने के लिए मरीजों को 10 रुपये शुल्क देना होता था. ये नियम 1 नवंबर से लागू हो जाएगा.
*सिक्योरिटी गार्ड से चाय मंगाने पर रोक*
इसके अलावा डॉ. एम श्रीनिवास ने नियुक्ति के कुछ दिनों के भीतर ही नया फरमान जारी किया है. उन्होंने सर्कुलर जारी कर सिक्योरिटी गार्ड्स से चाय या अन्य सामान मंगवाने पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.
इस संबंध में जारी सर्कुलर में कहा गया है कि यह संज्ञान में आया है कि अस्पताल के स्टाफ के कहने पर एक सिक्योरिटी गार्ड को चाय ले जाते देखा गया. इस तरह की घटनाओं से न सिर्फ सुरक्षा के साथ समझौता होता है बल्कि इससे सुरक्षा सेवाओं की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ता है.
डायरेक्टर की ओर से जारी
सर्कुलर में कहा गया कि ऐसे में यह निर्देश दिए जाते हैं कि सुरक्षा और मरीजों की सहायता के लिए तैनात किए गए सिक्योरिटी स्टाफ से किसी अन्य तरह का काम नहीं कराया जाएगा. निर्देशों का उल्लंघन होने पर संबंधित ऑफिस के प्रभारी और कैंटीन इंचार्ज को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. ठीक इसी तरह अगर कोई सिक्योरिटी गार्ड ड्यूटी के दौरान कुछ खाते पाया गया तो उसका नाम वेतन भुगतान रजिस्टर से हटा दिया जाएगा.
*अब डॉक्टरों और नर्सों को रास्ते पर ला रहे हैं*
एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने पहले तो ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को सीधा किया और अब डॉक्टरों एवं दूसरे स्टाफ को लाइन पर लाने में जुट गए हैं। उन्होंने आदेश दिया है कि डॉक्टर और स्टाफ अपने ड्यूटी आवर में मेन ऑपरेशन थिएटर छोड़कर कहीं नहीं जाएं। अब तक हो ये रहा था कि डॉक्टर और स्टाफ खुद के लिए या किसी दोस्त या रिश्तेदार के लिए कर्मचारी स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज करवाने या दवाइयां लेने ड्यूटी छोड़कर निकल जाते थे।
*पहले सबके साथ की मीटिंग, फिर जारी किया आदेश*
डॉ. श्रीनिवास ने मंगलवार को एक मीटिंग की जिसका मकसद मेन ऑपरेशन थिएटर यानी मुख्य ओटी में कामकाज की व्यवस्था दुरुस्त करना था। इस मीटिंग में जीआई सर्जरी और ओटी यूजर्स कमिटी के हेड पियूष साहनी, एनेस्थेसियॉलजी के हेड लोकेश कश्यप के अलावा ओटी के कई अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। एम्स निदेशक ने कहा कि डॉक्टरों और स्टाफ के ईएचएस रेक्विजिशन, ईएचएस पोर्टल की मैपिंग और दवाइयों के वितरण का काम अगले हफ्ते से दुरुस्त हो जाएगा।
*डॉक्टरों-स्टाफ से लेकर मरीजों तक की सुविधा का ख्याल*
निदेशक की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि एनेस्थेसियॉलजी तुरंत एक सीनियर रेजिडेंट को मेन ओटी में तैनात करेगा जो वहां के डॉक्टरों और स्टाफ का चेकअप करेगा और उन्हें दवाइयां देगा। वहां ईएचएस का सुविधा केंद्र शुरू होगा ताकि ईएचएस कंसल्टेशन के लिए किसी को मेन ओटी छोड़ना नहीं पड़े। साथ ही, ओटी के पास भीड़भाड़ खत्म करने, मरीजों की अबाध आवाजाही सुनिश्चित करने को लेकर भी आदेश जारी किए गए। आदेश में यह भी कहा गया है कि कोई भी प्राइवेट वेंडर या कंपनी का प्रतिनिधि मेन ओटी में अपना बैग लेकर नहीं घुस सकता है।
*कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत*
एम्स को निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने इलाज के लिए आने वाले कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत दी है। दिल्‍ली एम्‍स में बने डॉ. बी आर अंबेडकर इंस्‍टीट्यूट रोटरी कैंसर अस्‍पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की ओपीडी टाइमिंग को बढ़ा दिया गया है। गुरुवार को एक सर्कुलर जारी कर बताया गया है कि ओपीडी में रोगियों के रजिस्ट्रेशन के समय में संशोधन किया गया है। ओपीडी में मरीजों का रजिस्ट्रेशन सभी वर्किंग डे में सुबह 8 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक किया जाएगा। बिना परामर्श ओपीडी से किसी भी मरीज को नहीं भेजा जाएगा। वहीं दोपहर एक बजे के बाद रोटेशन के आधार पर अलग-अलग विभागों के एक रेजिडेंट डॉक्टर के साथ ओपीडी शाम 5 बजे तक जारी रहेगी।
इसी के साथ डॉ. एम. श्रीनिवास ने कैंसर के मरीजों के लिए एम्स दिल्ली स्थित कैंसर सेंटर और झज्जर स्थित नैशनल कैंसर सेंटर के बीच ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा शुरू की है। इससे मरीजों को काफी सहूलियत होगी। दरअसल, कैंसर के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने झज्जर स्थित नैशनल कैंसर सेंटर बनाया है, जहां पर मरीजों की केयर और इलाज एम्स के डॉक्टर करते हैं। दूसरी ओर मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से एम्स की कैंसर बिल्डिंग में जगह कम होने लगी है। मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चूंकि झज्जर का कैंसर सेंटर दिल्ली एम्स से काफी दूर है तो मरीज वहां जाने से बचते थे। इसी परेशानी को दूर करते हुए नए डायरेक्टर ने ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा शुरू करने का आदेश दिया है।
*ये सुविधाएं मिलेंगी*
-सोमवार से शनिवार के बीच रोज सुबह नौ बजे मरीजों का पिकअप टाइम होगा
-मरीजों को कैंसर सेंटर के गेट नंबर एक से लिया जाएगा
-मरीजों को झज्जर स्थित कैंसर सेंटर पार्किंग में उतारा जाएगा
-इसके लिए दो पेशंट केयर मैनेजर नियुक्त किए गए हैं
-मरीजों के ठहरने के लिए कैंसर सेंटर में एक विश्राम सदन भी बना है, जहां वो रात को ठहर सकते हैं
*सर्जरी की वेटिंग लिस्ट से मिलेगा छुटकारा*
दिल्ली एम्स के नए डायरेक्टर आने के बाद से कई बदलाव लगातार किए जा रहे हैं। ऐसे ही एक बदलाव में अब सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर्स को दो शिफ्ट में चलाने की बात हो रही है। इससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी क्योंकि अभी 6 महीने से लेकर 5-5 साल तक सर्जरी के लिए वेटिंग टाइम मिलता है।
यहां की कार्यप्रणाली में निरंतर सुधार हो रहे हैं. मरीजों की सुविधाओं को ध्यान में रखने वाले नए-नए नियम बन रहे हैं और बेकार की ध्यान बंटाने वाली चीजों को खत्म किया जा रहा है. इसी के तहत एम्स, नई दिल्ली के निदेशक ने एक और कदम बढ़ाया है. इसके अंतर्गत अब यहां दो शिफ्टों में सर्जरी करने की तैयारी है. इससे मरीजों को ऑपरेशन के लिए मिलने वाली लंबी-लंबी वेटिंग लिस्ट से मुक्ति मिलेगी.
*मीटिंग में रखा गया प्रस्ताव*
एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास की अध्यक्षता में मुख्य ऑपरशन थियेरटर में कार्य के प्रवाह को लेकर मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में जिन मुख्य बातों पर चर्चा हुई उनमें से सबसे जरूरी है ऑपरेशन थियेटर में दो शिफ्टों में सर्जरी किए जाने का अनुरोध, जिससे सर्जरी की संख्या को बढ़ाया जा सके. बता दें कि अभी सर्जरी के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है. उन्हें ऑपरेशन की कई-कई दिनों बाद की तारीखें मिलती हैं.
*दो शिफ्ट में होंगे ऑपरेशन*
नये प्रस्ताव में ऑपरेशन दो शिफ्टों में करने की बात कही गई है. इसमें सुबह आठ से लेकर दोपहर दो बजे तक एक शिफ्ट रहेगी और दोपहर दो बजे से लेकर शाम आठ बजे तक दूसरी शिफ्ट चल सकती है. इससे ऑपरेशन की संख्या भी बढ़ेगी और मरीजों का वेटिंग टाइम भी घटेगा.
*इन नियमों को भी मानना होगा*
इसके साथ ही कुछ और नियमों को लागू करने पर भी इस मीटिंग में चर्चा हुई. इसमें ओटी में अनऑथराइज्ड व्यक्ति की ओटी में यानी ऑपरेशन थियेटर में एंट्री पर रोक लगाने की बात उठी. इसे लेकर जल्द ही सख्त कदम उठाए जाएंगे. इसके लिए ओटी में जाने के लिए प्रवेश द्वार पर चेहरों की पहचान वाली तकनीक का इस्तेमाल किए जाने और लिफ्ट में आरएफआईडी टैग लगाए जाने पर चर्चा हुई.
*आउटसोर्स कर्मचारियों को डूयटी के समय मोबाइल फोन इस्तेमाल पर बैन*
प्रशासन ने ओपीडी के रजिस्ट्रेशन काउंटर्स पर तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नया आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि आउटसोर्स कर्मचारी ड्यूटी के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
यह आदेश 16 अक्टूबर से लागू किये जाएगें। कर्मचारियों के द्वारा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की वजह से ओपीडी में जरूरी सेवाओं में देरी होती है। और वहां भर्ती मरीजों को परेशानी होती थी।
डॉक्टर एम श्रीनिवास ने कई अहम आदेश जारी किये है। इसके तहत प्रशासन ने बैट्री से चलने वाली 50 नई बसों को लाने का फैसला किया है। इन बसों के जरिए मरीजों, उनके अटेन्डेंट तथा सपोर्टिंग स्टाफ को संस्थान के अंदर तक लाया जाएगा। 10 अक्टूबर से जो भी मरीज सर्जिकल ब्लॉक के ओपीडी में है उनका रजिस्ट्रेशन सर्जिकल ब्लॉक में खुद-ब-खुद होगा। वर्तमान में उनका रजिस्ट्रेशन नयू रैक ओपीडी में होता है जिसकी वजह से मरीजों और उनके अटेन्डेंट को मुश्किलें आती हैं।
*मरिजों के हित में लिया फैसला*
एम्स निदेशक ने जारी किये आदेश में कहा कि ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास रहने वाले आउटसोर्स कर्मचारी अपनी शिफ्ट शुरू करने से पहले अपना मोबाइल फोन एक सुरक्षित बक्से में रखना होगा। ऐसा नोटिस किया गया है कि, ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी अक्सर मोबाइल फोन पर बातचीत करते नजर आते हैं। जिसकी कारण वहा पर अपना इंतजार कर रहे मरीजों की लंबी कतार लग जाती है। जिसके कारण मरीजों को सुविधाएं मिलने में देरी होती है।
*परिसर में 50 बसें चलाने के आदेश*
50 बसों के जरिए एम्स में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने का जिक्र किया गया है। आदेश में कहा गया है कि एम्स परिसर के अंदर चलने वाली ये सभी ट्रांसपोर्ट व्हीकल निशुल्क सेवाएं देंगी और ये सिर्फ परिसर के अंदर ही चलेंगी। सुरक्षा से जुड़े विभाग को कहा गया है कि वो रेगुलर तौर पर इसकी मॉनीटरिंग करेंगे और इस बात का ख्याल रखेंगे कि मरीजों को किसी तरह की परेशान ना हो।
*कॉरपोरेट शैली में कार्य करेगा एम्स*
देश का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स कॉरपोरेट शैली में कार्य करेगा। सरकार ने एम्स निदेशक पद के साथ मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को भी जोड़ दिया है जिसके बाद निदेशक पद की निर्णायक क्षमता भी बढ़ गई है।
डॉ. एम श्रीनिवास को एम्स का निदेशक और सीईओ नियुक्त किया। कुछ समय पहले सरकार ने रेलवे के चेयरमेन पद को भी इसी तरह सीईओ के साथ जोड़ा था। हालांकि, दोनों निर्णय का उद्देश्य अलग अलग है। सूत्रों की मानें तो कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य की भूमिका और अधिक बढ़ी है।
ऐसे में एम्स में चिकित्सा सेवा, प्रशासनिक कार्य और नई योजनाओं पर स्वतः निर्णय लेने के लिए निदेशक को अधिकार दिए गए हैं। हालांकि, एम्स के ही एक अधिकारी ने साफ तौर पर कहा, ‘इसका मतलब यह कतई नहीं है कि एम्स का निजीकरण किया जा रहा है। यह सिर्फ कार्यशैली से जुड़ा मामला है जिसका लाभ आम जनता को मिलेगा और संस्थान का विकास भी तेजी से होगा।
*बना रहेगा आदर्श मॉडल*
भविष्य में देश भर के एम्स एक साथ आ सकते हैं। इन सभी को दिल्ली एम्स के साथ जोड़ा जाएगा और सभी निदेशक को मिलाकर एक बोर्ड भी गठित किया जा सकता है। हालांकि, यह प्रस्ताव अभी सिर्फ चर्चाओं में है
मौजूदा समय में, दिल्ली एम्स का विस्तार करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। यहां के सभी परिसर को मिलाकर एक विश्वविद्यालय में तब्दील किया जा रहा है जिसमें एक से दो साल की अवधि लग सकती है
चर्चा यह भी है कि विश्वविद्यालय बनने के बाद सभी एम्स उसके साथ जुड़ जाएंगे और यह देश का सबसे बड़ा संस्थान भी बनेगा
*इस तरह आएगा बदलाव*
अधिकारी ने बताया, ‘अक्सर सरकारी कार्यालय में छोटी छोटी योजनाएं, प्रस्ताव या फिर किसी नई पहल के लिए अनुमति प्रक्रिया काफी लंबी होती है। स्वास्थ्य के लिहाज से बात करें तो इस प्रक्रिया का तोड़ निकालना बहुत जरूरी है ताकि जनहित में कार्य किया जा सके।
*कोैन हैं डॉ एम श्रीनिवास*
दिल्ली एम्स के नए निदेशक डॉ एम श्रीनिवास अब से पहले हैदराबाद स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम यानी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बतौर डीन कार्यरत थे। हालांकि डॉ श्रीनिवास पहले दिल्ली एम्स में ही पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में थे। ईएसआईसी हॉस्पिटल हैदराबाद में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे थे। उनका नाम देश के जाने माने और स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स में शुमार है। इन्हें सुधारवादी प्रयासों ओेेैर सख्त प्रशासन के लिए जाना जाता है.
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर श्रीनिवास ने एम्स, दिल्ली के निदेशक पद पर नियुक्ति का आवेदन नहीं दिया था.
साल 2016 में इन्हें ईएसआईसी अस्पताल, हैदराबाद में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया।
प्रोफेसर, श्रीनिवास हैदराबाद ईएसआईसी में डेप्यूटेशन पर थे, जिसे उन्होंने ‘कंक्रीट की दीवारों’ से एक व्यस्त अस्पताल में बदल दिया.
डॉ श्रीनिवास को एंप्लाई स्टेट इंश्योरेंस कंपनी अस्पताल को खराब स्थिति से निकालने के लिए नियुक्त किया था। डॉ श्रीनिवास ने 3 साल के भीतर अस्पताल को सबसे व्यस्त अस्पतालों में शुमार कर दिया था।
*इएसआईसी में किया बड़ा बदलाव*
डॉ श्रीनिवास को इएसआईसी में बड़े बदलाव के लिए जाना जाता है। डॉ श्रीनिवास ने इस अस्पताल में आधार आधारित बायोमिट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लॉन्च किया था। इस सिस्टम के आने के बाद अस्पताल में बड़े बदलाव आए थे। इस सिस्टम के कारण डॉक्टर कहां है, यह भी पता चल जाता था। इससे अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ का औसत समय 2 घंटे से बढ़कर 8 घंटे तक पहुंच गया।
डॉक्टर श्रीनिवास को 5 गोल्ड मेडल मिल चुके हैं। इनके 160 अंतरराष्ट्रीय शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। ईएसआईसी अस्पताल, हैदराबाद में इनके डीन रहते हुए 22 एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रम और 25 सुपर स्पेशियलिटी विभाग शुरू हुए थे।
*डॉ. एम श्रीनिवास ने लिया अंगदान का संकल्प*
परिवारों का हौसला व अंगदान को बढ़ावा देने के लिए एम्स के निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एम श्रीनिवास ने रविवार को इंस्टीट्यूशन फाउंडेशन डे-2022 अंगदान करने का संकल्प लिया है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के महज पांच माह में करीब 11 लोगों ने अंगदान किया है।
एम्स सर्जरी विभाग के डॉक्टर द्वारा एक लेक्चर में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में सबसे ज्यादा अंगदान के लिए डोनर मिले। कोरोना के कारण साल 2021 में एक भी डोनर नहीं मिला। जबकि साल 2022 के पांच माह में कम डोनर मिलने के बाद भी ज्यादा अंगदान हुए। एक साल में हुए अंगदान के मामले में यह आंकड़ा पिछले 7 साल में सर्वाधिक है।

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