भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस ऐतिहासिक विश्व कप विजय को केवल एक खेल की जीत के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह आधुनिक महिला विमर्श का एक जीवंत प्रतीक है—जहाँ महिलाएँ न केवल मैदान पर अपनी ताकत सिद्ध करती हैं, बल्कि समाज की पुरुष-प्रधान संरचनाओं को चुनौती देती हैं, अपनी पहचान को मजबूती से स्थापित करती हैं।
2 नवंबर 2025 को, नवि मुंबई के डॉ. डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध खेले गए फाइनल में, भारतीय महिला खिलाड़ियों ने न केवल खिताब पर कब्जा किया, अपितु यह सिद्ध किया कि महिला शक्ति अटल है, जो दृढ़ संकल्प, एकजुटता और आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। यह जीत उन सभी महिलाओं के लिए एक संदेश है जो प्रतिदिन जेंडर इनइक्वलिटी से जूझती है।
देखा जाय तो इस संघर्षपूर्ण यात्रा में प्रत्येक खिलाड़ी ने वीमन एम्पॉवर्मेंट में अपनी गौरवशाली भूमिका निबाही है, हौसले के साथ आंखों में नए ख्वाब बुनने की ताकत दी है। सिद्ध किया है कि महिलाएँ संकटों में भी दिशा निर्धारित कर सकती हैं—जो बाधाओं को पार कर चमक सकती हैं- कि साहस की नई ऊँचाइयों को छू सकती हैं – कि सहनशीलता और समर्थन की बहुआयामी भूमिकाओं को रेखांकित कर सकती हैं। वे महिला शक्ति के रक्षक और आक्रामक दोनों रूपों को उजागर करते हुए रणनीतिक बुद्धिमता से चुपचाप क्रांति ला सकती है- समान अवसर मिलने पर अपनी गति और शक्ति से अवसरों पर कब्जा संभव बना सकती है। उनमें गहराई पुरुषों से कम नहीं है।
यह विजय समर्पण और एकजुटता का प्रतीक है। साबित हुआ कि वे न केवल जीतती हैं, अपितु नया इतिहास भी रच देती हैं। भारतीय महिला क्रिकेट की यह उड़ान जेंडर इक्वलिटी की दिशा में एक मील का पत्थर है! याद होगा लंदन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने तत्कालीन कप्तान मिथाली राज से पूछा था पुरुष क्रिकेटर्स के बारे में; सनसनाता स्ट्रैट ड्राइव जबाब आया था – क्या उनसे हमारे बारे में पूछते हैं आप लोग ?’ – अब पूछेंगे।
फाइनल जीतने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम के प्लेइंग इलेवन में स्मृति मंधाना, शेफाली वर्मा, जेमिमाह रॉड्रिग्स, हरमनप्रीत कौर (कप्तान), अमनजोत कौर, रिचा घोष (विकेटकीपर), दीप्ति शर्मा, राधा यादव, श्री चरणी, रेणुका सिंह और पूजा यादव शामिल थी।
पुनः बधाई !
केशव कुमार भट्टड़
महासचिव
‘कोलकाता राजस्थान सांस्कृतिक विकास परिषद’