बीकानेर, 28 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति, आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में शुक्रवार को ढढ्ढा कोटड़ी में विशेष प्रवचन तथा ढाई घंटें का नाटक मंचित किया गया। शनिवार को ढढ्ढा कोटड़ी में आचार्यश्री का खरतरगच्छ दिवस पर विशेष प्रवचन होगा। शनिवार से ही साध्वीश्री प्रिय मुद्रांजनाश्री के मास खमण की तपस्या के उपलक्ष्य में पंाच दिवसीय पंचाहिन्का महोत्सव शुरू होगा। महोत्सव के प्रथम दिन रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे में दोपहर को भगवानश्री पाश्र्वनाथ पंच कल्याणक पूजा का आयोजन होगा।
गच्छाधिपति जिन मणिप्रभ सागर सूरिश्वरजी ने शुक्रवार को भगवान नेमीनाथ के जन्म कल्याणक पर विशेष प्रवचन में कहा कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने करुणा, दया, सत्य, अहिंसा, अचैर्य, विनय, वात्सल्य, आत्म स्वरूप को पहचाने, कोई बुरा कार्य नहीं करने, सात्विक जीवन जीने, दान, शील व तप करने का संदेश दिए है। हमें भगवान नेमीनाथ सहित सभी तीर्थंकरों के आदर्शों से प्रेरणा लेकर दुर्लभ मानव जीवन का कल्याण करना है। सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होना है।
ढढ्ढा कोटड़ी में मुंबई की डाॅ.प्रेमलता व बाबू लाल ललवानी के निर्देशन में मंचित ढाई घंटें के गद्य व पद्यमय नाटक में भगवान नेमीनाथ के पांचों कल्याणक यानि च्यवन (गर्भ), जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष को भक्ति गीतों, नृत्य प्रस्तुतियों व प्रभावी संवादों के माध्यम से दिखा गया। नाटक में जीवदया, अनुकंपा, वर्षीदान आदि का संदेश दिया गया। नाटक में बताया गया कि भगवान नेमीनाथ विवाह के निरीही पशुओं को देखकर करुणा व अनुकंपा तथा दया को उजागर करते हुए राजपाठ छोड़कर वैराग्य ग्रहण कर लेते है। नाटक में राजुल के विलाप, वियोग व वैराग्य को भी प्रभावी तरीके से प्रदर्शित किया गया।
– मोहन थानवी