श्रीमती कौषल जैन पत्नि स्व0 राजेन्द्र प्रसाद जैन 8/3/2018 का स्वर्गवास होने पर उनकी अन्तिम इच्छानुसार उनके पुत्र श्री राहुल जैन, बेटी डॉ0 षिल्पी जैन व छोटी बेटी श्रीमती षैली जैन ने उनका अन्तिम संस्कार ना करते हुए, उनकी देह को जयपुर नेषनल यूनिर्वसीटी मेडिकल सांइस व रीसर्च सेन्टर जयपुर को मेडिकल छात्रों के अध्ययन हेतु दान की।देहदान पूर्व श्रीमती कौषल जैन की इच्छानुसार उनके नेत्र दान भी किये गये जिन नेत्रों से दिनांक 9/3/2018 को दोपहर 1.30 पर दो घरो में रोषनी हो गयी।
श्रीमती जैन अध्यापिका, एक दृढ़ निष्चयी, साहसी व मेहनती महिला थी, उनके त्याग मार्गदर्षन से उनकी पुत्रवधू दोनों पुत्रियां षिक्षिका बन पायी। षिक्षा के प्रति आपका बहुत रूझान था। आप अपनी पेंषन जैसे अल्प आय में से भी प्रति वर्ष माह जुलाई व जनवरी की पेंषन जरूरतमंद छात्र-छात्राओं पर व्यय करती थी और दिल से चाहती थी कि इस समाज में प्रत्येक तबके का बच्चा पढ़े क्योंकि उनकों पता था कि किस्मत का ताला षिक्षा ही खोलती है।
श्रीमती जैन ऑस्टियोफोरेसिस जैसे असाध्य रोग से गत-12 वर्षों से पीड़ित थी और स्पाइन कॉर्ड में भी समस्या थी, मगर आपने बड़े ही साहस के साथ उन बिमारियों का सामना किया और सदैव सकारात्मक रही, हर समस्या को गले लगाकर षांति से जीवनयापन किया। बिस्तर पर रहते हुए भी वे प्रत्येक वह कार्य कर लेती थी जिनके लिए चलना या उठना ना पड़े।हस्तकला में अपनी निपुणता का वह लाभ आस-पास की जरूरतमंद बच्चियों को देती थी उनको स्वेटर व सिलाई कढ़ाई के गुर सिखाती थी साथ ही आप हिन्दी व्याकरण की भी जानकारी बाँटती थी।
74 वर्ष की आयु में भी वह इतने क्रांतिकारी विचार रखती थी कि समाज मे हर कार्य हटकर करती थी जिसका उदाहरण उनका देहदान करना है। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गयी है। एक पौत्र एक पौत्री जो कि सी.ए. है। तीन दोहते व एक दोहती जिनमेें से एक दोहता इंजिनियर व अन्य बच्चे पढ़ रहे है। आपकी एक अन्य इच्छा व प्रेरणानुसार एक दोहता मेडिकल की तैयारी कर रहा है।
आप डॉक्टर को धरती का भगवान मानती थी और चाहती थी कि उनका एक बच्चा यह कार्य करें। ऐसी साहसी महिला ने अपनी देह अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर त्याग कर अपनी पुण्य तिथि को अमर कर दिया।
आप सदैव अपने परिवार की यादों में, कर्मों में रहेगी। आप देहदान करके अमर हो गयी।
ऐसी महान षख्सियत को षत – षत नमन।