अणुव्रत समिति राजसमन्द द्वारा मुनि श्री प्रसन्न कुमार जी एवं मुनि श्री मोक्ष कुमार जी के सानिध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पांचवां दिन राजनगर काराग्रह में व्यसन मुक्ति दिवस के रूप में मनाया गया। कैदियों को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रसन्न कुमार जी ने कहा- इंसान से जान अनजान में अपराध होता है। छोटी गलती भी होती है, बड़ी गलती भी होती है। किंतु जो गलती को गलती मान उसका प्रायश्चित कर फिर से गलती नहीं करने का दृढ़ संकल्प करता है वह अपराध की दुनिया से निकलकर इज्जत की जिंदगी जीने लग जाता है। कभी-कभी एक ठोकर लगने से भाग भी खुल जाते हैं। जैसे उल्टा नाम जपत जग जाना, वाल्मीकि भए ब्रह्म समाना। जो सप्त ऋषियों के संपर्क में आकर ब्रह्मज्ञानी बन गए, दुनिया उनकी रामायण पढ़ती हैं। जिनको राम का नाम भी लेना नहीं आता था, खुंकार डाकू से महात्मा बन गए। अपराधी बुरी संगत से भी होता है। परिस्थिति भी अपराधी बना देती है। कई बार व्यक्ति साजिश से बिना गलती ही सजा भोगता है। ऐसा भी देखा जा रहा है कि कई बड़े-बड़े अपराधी सरकार एवं जनता की नजरों में नहीं आने से या आंखों में धूल झोंक कर खुले आजाद फिरते नजर आते हैं। किंतु याद रखे देर है, अंधेर नहीं, सजा निश्चित है यहां नहीं तो वहां अपराधी प्रवति का जिम्मेदार एनिमल माइंड भी होता है। ध्यान सत्संग से रिजनिंग माइंड जगाकर स्वभाव परिष्कार किया जा सकता है। तभी बड़े-बड़े डाकू भी महात्मा बन गए। इस विशेष कार्यक्रम में अणुव्रत समिति अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र महात्मा ने बतलाया कि नशे से अपराध ज्यादा होते हैं। गुस्से, बदले की भावना और अभावों से
चोरी, बलात्कार, अन्याय से हमें बचना चाहिए। अणुव्रती जीतमल जी कच्छारा, गणेश जी कच्छारा, अनिल जी बडोला, लता जी मादरेचा, ज्योत्सना जी पोखरणा, मंत्री हिम्मत सिंह जी बाबेल, जगदीश जी बैरवा आदि ने गीत व वक्तव्य के माध्यम से अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन रमेश जी मांडोत ने व आभार ज्ञापन की रस्म सूरज जी जैन ने अदा की।