gopal singh jodhaमान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने 10 ग्राम प्योर सोना 30000 रुपये का खरीदा। उसका लेकर आप सुनार के पास हार बनबाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनबाई लगेगी। आपने कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का टाका लगा दिया। क्यों विना टाके के आपका हार नही बन सकता। यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया । और 2000 रुपये आपसे बनबाई अलग से लेली। यानी आपको 5000 रुपये का झटका लग गया। अब आपके 30 हजार रुपये सोने की कीमत मात्र 25 हजार रुपये बची। और सोना भी 1 ग्राम कम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा। बात यही खत्म नही हुई। उसके बाद अगर आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनबाने पुन: उसी सुनार के पास जाते है तो वह पहले टाका काटने की बात करता है। और सफाई करने के नाम पर 0.5 ग्राम सोना और कम हो जाता है। अब आपके पास मात्र 8.5 ग्राम सोना बचता है। यानी की 30 हजार का सोना मात्र 25500 रुपये का बचा।
आप जानते होंगे
30000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनबाई = 32000 रुपये
1 ग्राम का टाका कटा 3000 रुपए + 0.5 पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा = सफाई के नाम पर = 1500
शेष बचा सोना 8.5 ग्राम
यानी कीमत 32000 – 6500 का घाटा = 25500 रुपये
सरकार की मंशा
एक्साइज ड्यूटी लगने पर सुनार को रशीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा। और जितने ग्राम का टाका लगेगा । उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नही पड़ेगा। जैसा की आपके सोने की तोल 10 ग्राम है और टाका 1 ग्राम का लगा तो सुनार को रशीद के आधार पर 11 ग्राम बजन करके उपभोक्ता को देना होगा।
जागो ग्राहक जागो
gopal singh jodha
1 thought on “क्या है एक्साइज ड्यूटी”
Jo lock h kdi usi ko taka bolte h ky..
Or wo bi tho gold ka hota h
Jo lock h kdi usi ko taka bolte h ky..
Or wo bi tho gold ka hota h