सारे दिन मना सकते हैं रक्षाबन्धन

किसी भद्रा – सूतक का दोष नही बन रहा ।

राजेन्द्र गुप्ता
राजेन्द्र गुप्ता
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा सोमवार ( ७ अगस्त २०१७) को भाई बहन के प्रेम को समर्पित राखी का त्योहार हैं और इसी दिन रात्रि में 10:29 से 12:22 रात्रि तक चन्द्र ग्रहण है जिसके सूतक नौ घण्टे पूर्व ग्रहण से प्रारंभ होकर ग्रहण समाप्‍ति तक रहेगे । इसी दिन सुबह ११:०४ मिनट तक भद्रा भी है भद्रा काल अवधि अशुभ मानी गयी हैं किन्तु हर समय नहीं, चन्द्रमा अलग अलग राशियों के भ्रमण काल में अलग अलग स्थान (लोको )पर भद्रा का वास स्थापित करता है। जैसे – मेष,वृष ,मिथुन, वृश्चिक राशि का चन्द्रमा – भद्रा वास स्वर्ग लोक , कर्क, सिंह, कुम्भ, मीन राशि का चन्द्रमा – भद्रा वास पृथ्वी लोक में, कन्या, तुला, धनु,मकर राशि का चन्द्रमा – भद्रा वास पाताल लोक में होता है। भद्रा जिस लोक में वास करती है। उसी लोक को प्रभावित करती है। रक्षाबंधन के दिन चन्द्रमा मकर राशि में होने से भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा । जिसका पृथ्वी लोक पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं होगा।
इस रक्षा पर्व समायोजन हेतु ग्रहण जनित सूतक अथवा ग्रहण विषयक व भद्रा का विचार शास्त्र सम्मत नहीं है। यह त्योहार सारा दिन बिना किसी त्रुटि के निर्विघ्न रुप से मनाया जायेगा ‌।
विशेष मुहूर्त – अभिजित् – १२:१७ से ०१:१० तक।
दिवा मुहूर्त – ०४:०० से ०७.०० तक।
दूसरी बात
●●●●●●●
? ?
*निर्णय सिंधु ‘* के *परिच्छेद २ पेज नंबर 180 में लिखा हुआ* है कि ” *इदं रक्षाबंधनं नियतकालत्वात भद्रावर्ज्य ग्रहणदिनेपि कार्यं होलिकावत् । ग्रहणसंक्रांत्यादौ रक्षानिषेधाभावात् ।”** इसी निर्णय सिंधु के पेज 180 पंक्ति नं 11 में पढ़े जिसमे लिखा हुआ है कि रक्षाबंधन नियत काल मे होने से भद्रा को छोड़ कर ग्रहण के दिन भी होली के समान ही करना चाहिए । आगे पढ़ें उसमें लिखा हुआ है कि ग्रहण का सूतक अनियतकाल के कर्मों में लगता है जबकि राखी श्रावण सुदी पूर्णिमा को ही मनाया जाता है । रक्षा बंधन को ना पहले दिन ना दूसरे दिन मनाया जाता है । उसी दिन मनाया जाता है इसलिए नियत कर्म होने के कारण इसको ग्रहण का दोष नहीं लगता है । सभी सनातन प्रेमियों से निवेदन है कि आप रक्षाबंधन 7 अगस्त को पूरे दिन आराम से कर सकते है । अफवाहों से दूर रहे जिनको पूरा ज्ञान नहीं है वे लोग विरोध ही करेंगे न।

error: Content is protected !!