घटघट के वासी क्रष्ण-कन्हैया का जन्मोत्सव–जन्माष्टमी पार्ट 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
वे भगवान श्रीकृष्ण ही थे, जिन्होंने अर्जुन को श्रीमदभगवदगीता के माध्यम से कायरता से वीरता, विषाद से प्रसाद की ओर जाने का दिव्य संदेश दिया था। सर्वाधिक विषेले कालिया नाग के फन पर नृत्य करने वाले भी क्रष्ण ही थे | युवराज दुर्योधन के राजसी भोजन को त्याग कर महात्मा विदुर जी के यहाँ साग रोटी खाने वाले भी क्रष्ण ही थे | देवराज इंद्र का दर्भ-अहंकार नष्ट करने हेतु सम्पूर्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी अगुंली पर उठाने वाले गिरिधारी भी क्रष्ण ही थे। महाभारत युद्ध के दोरान उचित समय आने पर भीम से दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करवाने वाले भी क्रष्ण ही थे | शिशुपाल की 100 दोषों को माफ़ करने के उपरांत उसके 101 वीं गलती पर सुदर्शन चक्र से वध करने वाले भी श्री क्रष्ण ही है | महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी बनकर पाण्डवों को विजय दिलवाने वाले भी भगवान क्रष्ण ही थे। सच्चे मित्र धर्मको निभाने वाले एवं ग़रीब सुदामा के पोटली में से कच्चे चावलों को खाकर उसके बदले सुदामा को राज्य एवं सोभाग्य देने वाले भी क्रष्ण ही थे।
जन्माष्टमी का यह पावन पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है जहाँ मथुरा, वृदांवन और यूपी एवं अन्य प्रान्तों कृष्ण-लीलाएं और रास-लीलाएं आयोजित की जाती हैं, वहीं महाराष्ट्र में माखन चोर कन्हैया की माखन की मटकीयां फोडी जाती है | भगवान क्रष्ण का सम्पूर्ण बचपन अनगिनत लीलाओं से भरा हुआ है | इसीलिए इस दिन झांकियों के जरिये भक्तजन उनके बाल जीवन को प्रदर्शित करने झाकियों का आनन्द लेते हैं | जन्‍माष्‍टमी के अवसर पर पुरूष व औरतें उपवास अर्चना- प्रार्थना करते हैं | मन्दिरों व घरों को सुन्‍दर ढंग से सजाया जाता है और विभिन्न मनमोहक झाकियां बनाई जाती हैं | जगह-जगह रासलीलायें होती है | मन्दिर घरों में विशेष पूजा-अर्चना- प्रार्थना एवम् धार्मिक आयोजन कियेजाते हैं | रात्रि 12 बजे मन्दिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर लोग अपना व्रत खोलते हैं।

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