अजमेर / यौमआशूरा के मौके पर मंगलवार को तारागढ़ मातम में डूबा रहा। शहीदान करबला को याद कर आशिकान हुसैन बिलख पड़े और खुद के शरीर को लहूलुहान कर खिराज अकीदत पेश करते नजर आए। मर्सियाख्वानी और सीनाजनी के बीच ताजिये को जुलूस के रूप में ले जाकर करबला में सुपुर्द खाक किया गया। मुख्य आयोजन हजरत मीरां सैयद खिंग सवार की दरगाह स्थित कदीमी इमाम बारगाह में हुआ। इस मौके पर दरगाह कमेटी के सदर मोहसिन सुल्तानी, सदस्य सैयद माशूक अली और सैयद हकीम अली के साथ ही दारोगा लायक हुसैन और जावेद अख्तर आदि भी उपस्थित थे। पंचायत सदर सैयद जलाल हुसैन, सचिव सैयद अबरार अली, रमजान मशहदी, सैयद हफीज अली, सैयद रब नवाज जाफरी समेत विभिन्न गणमान्य लोग भी मौजूद थे। दोपहर 1 बजे से मुख्य मजलिस का आगाज हुआ। मौलाना इरफान हैदर ने मसाइब इमाम हुसैन बयान किए। दौरान बयान अनेक अकीदतमंद बिलख-बिलख कर रो रहे थे। महिला अकीदतमंद भी आंसू नहीं रोक पाईं। 1.30 बजे जुलजुना और अलम बरामद होते ही आशिकान हुसैन ने ब्लेड, जंजीर और खुमा से खुद को लहूलुहान करना शुरू कर दिया। अली मौला हैदर मौला की सदाओं के बीच अकीदतमंद खुद को लहूलुहान किए जा रहे थे। बाद में इमाम बारगाह से ताजिये का जुलूस रवाना हुआ। जुलूस शाम करीब 5 बजे करबला पहुंचा। ताजिये को सुपुर्द खाक किया गया। जियारत आशूरा पढ़ी गई। रात को शाम गरिबां हुई। तारागढ़ स्थित दरगाह केे इमाम बारगाह में मंंगलवार को अकीदतमंदों ने खुद के शरीर को लहूलुहान कर खिराज अकीदत पेश किया। तारागढ़ पर सीनाजनी के बीच ताजिये को सुपुर्द खाक भी किया गया।
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