संयमित जीवन शैली ही सफलता की कुंजी है-आचार्य वर्धमान सागर

DSC03271DSC03265DSC03275अजमेर ! जैन सन्त वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने अपने एक दिवसीय मंगल प्रवास पर संस्कृति द् स्कूल में दिनांक 06 दिसम्बर, 2014 को पर्दापण किया । सन्तश्रेष्ठ के साथ अन्य सम्मानित सन्त भी उपस्थित थे । विद्यालय में आचार्य श्री का मंगल आगमन दिनांक 06 दिसम्बर, 2014 को सांय 4 बजे हुआ । विद्यालय के प्राचार्य लेफ्टिनेट कर्नल ए के त्यागी, प्रधानाचार्या श्रीमती अल्पना सिंह परमार, कोर्डिनेटर श्री हरदीप सिंह, कोर्डिनेटर श्रीमती नमिता पाण्डेय, श्री आर.एस. पूनिया जी एवं अन्य स्टाफ सदस्यों द्वारा आचार्य श्री की अगवानी की गयी तथा प्राचार्य जी द्वारा उन्हें श्रीफल भेंटकर उनका स्वागत किया गया । इस अवसर पर विद्यालय के आवासीय स्टाफ एवं छात्रावास के बच्चों ने महाराज श्री के दर्षन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया । आज दिनांक 07 दिसम्बर, 2014 को प्रातः 8ः30 बजे आचार्य श्री के मंगल प्रवचन का आयोजन किया गया । प्रवचन समारोह में विद्यालय के गणमान्य अभिभावकों के साथ समस्त षिक्षक-षिक्षिकाओं ने षिरकत की । इस पुनीत अवसर पर विद्यालय के चेयरमेन श्री सीताराम जी गोयल ने आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज को श्रीफल भेंट कर उनका स्वागत किया तथा उनका आषीर्वाद प्राप्त किया । आचार्य श्री के समक्ष विद्यालय का परिचय विद्यालय के हाउस मास्टर श्री कमलेष श्रीवास्तव ने दिया । अपने प्रवचन के दौरान आचार्य श्री ने सर्वप्रथम बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन अनमोल है इस काल में प्रत्येक विद्यार्थी को संयमित जीवन शैली अपनानी चाहिए । संयम में रहकर तथा अपने आचार-विचारों में पवित्रता लाकर किसी भी प्रकार की सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। ब्रह्यचर्य व्रत का पालन करते हुए कोई भी मनुष्य विभिन्न प्रकार की शक्तियों का अर्जन कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम पाष्चात्य संस्कृति का अनुकरण नहीं करेंगे तथा केवल भारतीय संस्कृति का अनुसरण करते हुए उसके वाहक भी बनेंगे ।
आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के साथ अन्य श्रावक, श्राविकाएँ तथा सन्त समाज भी आया हुआ था । उन्होंने भी अपने मुखारविन्दु से प्रवचन रूपी कुछ अक्षक उपस्थित जन समूह को अर्पित किए ।

ले कर्नल ए के त्यागी (रिटा)
प्राचार्य

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