मकर संक्रांति व लोहड़ी पर्व उत्साह से मनाया
किया दान पुण्य, खाए तिल के मिष्ठान, पतंगों ने नापा आसमान
ब्यावर, (हेमन्त साहू)। शहर मे मकर संक्रांति के दिन आसमान में पतंगें उड़ाने की प्रतिस्पद्र्धा का दौर दिखाई दिया। बाजार में पतंग और मांजों की दुकान पर भीड दिखाई दी। पतंग व्यापारी महेश ने बताया कि इस साल बाजार में कई डिजाइनो मे एवं सभी साईजो की रंग बिरंगी पतंगे आकाश मे उडती दिखाई दी। इसके अलावा बच्चों के लिए तारक महता, छोटा भीम, टोम एंड जेरी, बैंटेन समेत अनेक तरह की पतंगें बाजार में उपलब्ध रही। मकर संक्रांति के पर्व का अलग ही महत्व है। वहीं सिख समाज की ओर से सोमवार को गुरुद्वारे में लोहड़ी पर्व धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारे में लोहडी पर्व पर लघु नाटिका कां मंचन हुआ। हिंदुओं के घरों में मकर संक्रांति पर तिल व तेल से बनी मिठाईयां पकाकर व वस्त्रों का दान किया।
तिलपट्टी और गजक के लिए प्रसिद्ध ब्यावर
ब्यावर की मकर संक्रांति पतंगबाजी के साथ-साथ तिलपट्टी और गजक के लिए प्रसिद्ध है। शहर की सैकड़ों दुकानों में संक्रांति पर बिक्री के लिए तिलपट्टी का निर्माण 1 महीने पर पहले ही शुरू हो जाता है। मंगलवार को संक्रांति पर्व पारंपरिक रूप से मनाया गया। तिल की मिठाइयों की रैसिपी देखकर तिल से तरह-तरह की मिठाइयां बनने लगी है। आधुनिकता के दौर मे दान देने की चीजो मे भी बदलाव दिखाई दिया। महिलाओ ने तेरूड़ा में मोबाइल, शृंगार व जरूरतमंद चीजें घर- घर दी। शहर में सुबह से ही सक्रांति के पुन्य पर्व पर गायों को चारा, गरीबों को खाने-पीने का सामान, कपड़े आदि का दान किया गया। गरीबों की सेवा के अलावा लोगों ने दान का तरीका बदल लिया है। आजकल मकर संक्रांति पर लोग रक्तदान करने लगे हैं। कई सालों से संस्थाओं द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में लोग श्रद्धा रक्तदान किया। मकर संक्रांति पर घरों में तिल की मिठाइयां बनाने का रिवाज है। परंपरा के अनुसार लोग पहले तिल और गुड़ के लड्डु व मीठे गुल-गुले बनाए गये। शहर मे कई जगह बाजार एवं मोहल्लो मे कडाही लगाकर गर्मागर्म पकोडे एवं हलवा राहगीरो को खिलाया।
धार्मिक दृष्टि से अति महत्वपुर्ण है सक्रांति पर्व
मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व कों उत्तरायणी भी कहते हैं। इस पर्व पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही महिलाएँ किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन एवं संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति के माध्यम से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की झलक विविध रूपों में दिखती है।
व्यापारियों द्वारा हलवा पकोड़ी का वितरण
दान पुण्य का पर्व मकर संक्रांति का पर्व पर शहर भर में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया । इस मौके पर विभिन्न स्थानों पर दान पुण्य और नदियों में स्नान किया गया। घरों में महिलाएं सूर्यदेव और भगवान शिव की पूजा अर्चना कर शुभकामनाएं मांगी। वहीं पाली बाजार व्यापार मंडल के तुलसी रंगवाला, महेन्द्रसिंह सहित व्यापारीयो ने पुरे दिन दाल के पकोड़े, कोफ्ते व हलवा बांट कर पुण्य किया। अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की सचिव कमलेश बंट के नेतृत्व मे ब्रह्मानंद वृद्ध आश्रम मे वृद्धजनो की सेवा सुश्रुषा की व दवा वितरण की। इस मौके पर संगठन की रेखा भुतडा, मन्जु बिहाणी, नीलम जामड, रेखा मेहता, इन्द्र खीचा, प्रभा शर्मा आदि ने सेवाए दी।
स्कूली बच्चों ने किये सूर्य नमस्कार
मकर संक्रांति के पावन मौके पर स्कूली बच्चों ने सामूहिक सूर्य नमस्कार के साथ दिन की शुरुआत की। आशापुरा माता मंदिर में सामूहिक सूर्य नमस्कार महायज्ञ संपन्न हुआ। योगासन के साथ 13 मंत्रों के साथ भगवान सूर्य की आराधना की गई। योग विशेषज्ञ विश्वजीत ने सूर्य नमस्कार की जीवन में उपयोगिता बताते हुए कहा कि इससे मन की एकाग्रता व आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है। योगाचार्य घनश्याम चौधरी ने बताया कि भारतीय संस्कृति में उत्तम योग व आरधना है सूर्य नमस्कार। योगाचार्य के अनुसार प्राचीनकाल में ऋषि अपने आश्रमों में शिष्यों को सूर्य नमस्कार कराने के बाद ही पढ़ाते थे। सूर्य नमस्कार के प्रमुख रूप से 13 अवर्तन है। विद्यार्थियों के लिए प्रमुख रूप से 7 अवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण और फायदेमंद हैं।