नेपाल भूकंम्प पीडितों के लिए राहत शिविर का आयोजन

DSCN048400325 अप्रेल 2015 का दिन हिन्दू राष्ट्र देश नेपाल के नागरिकों के लिए खौफनाक मंजर के रूप में काल बनकर आया। 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भुकंम्प ने लगभग 11000 लोगों कि सांसे छीन ली। हजारों लोग भूंकम्प के कहर से बेघर हो गये। बच्चों के सर से मॉं-बाप का साया उजड गया। हजारों मॉंओं कि कोख सूनी पड गई। करोडों रूपये कि संपति नष्ट हो गई।
मनवता के आधार पर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के तत्वाधान में स्वयं सेवकों द्वारा भूकंम्प पिडितों के लिए दुर्गम क्षेत्रों का सर्वेे कराया गया। सर्वे में जो तथ्य निकलकर सामने आये वो आश्चर्यजनक थे दुर्गम क्षेत्र में निवास कर रहे भुकंम्प पिडितों कि स्थिति बहुत दयनीय है। बेघर लोगों को टीन/तिरपाल में अंधेरे में जीवन व्यतीत करना पड रहा है। खाने को रोटी नहीं हैं ओढनें को चादर नहीं ह। भूकम्प ने सब कुछ तबाह कर दिया।
भूकंम्प पीडितों कि व्यथा जानकार राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने भूकंप पिडितों कि मदद व राहत के लिए 26 जुलाई 2015 से 30 जुलाई 2015 तक गॉंव ‘‘पॅंचखाल’’ व जीवनपुर जिला धांधिग में नेपाल राहत शिविर नाम से 5 दिवसीय कैम्प लगाया।
संस्थान के कार्यकर्ताओं व स्वयंसेवकों ने भुकम्प पीडितों को चिन्हित किया एवं पंचखाल गॉंव में 119 भुकंप पीडितों परिवारों व जीवनपुर गॉंव में 155 भुकंम्प पीडित परिवारों को मच्छर दानी, कपडे, कम्बल, टेन्ट सोलर लाईट, अनाज, चावल, दाल, आटा पैकेट का वितरण किया गया तथा बच्चों को स्टेशनरी किट (पेन, पेन्सिल, फोल्डर, कविता कितााब, कलरींग बुक आदि) का वितरण किया गया। जिससे उन पर आई इस विनाशकारी आपदा को भुलनें में कुछ राहत मिल सके।
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक शर्मा के शब्दों में आस पास के गांवों के पीडितों की मदद राहत के लिए संस्थान ने काठमांडू में अस्थाई कार्यालय शुरू किया है। जिसका संचालन नेपाली स्वयं सेवक करेंगें। पहाडियों से घिरे दुर्गम क्षेत्र के गॉंवों को राहत के लिए चिन्हित करेंगे। एवं भूकंम्प पिडितों को हर संभव कोशिश, कपडा, टेन्ट, कम्बल, खाना, सोलर लाईट, मच्छर दानी, राहत आदि उपलब्ध करायेंगे। नेपाल में हर तरफ तबाही का मंजर साफ दिखाई देता है। आजीविका चलाने के लिए व्यापारी भूकंम्प पीडित भवन में व्यापार करने को मजबूर है। उसे अपने परिवार के लिए प्रतिदिन जान की बाजी लगानी पड रही है। उसे खुद भी नहीं पता कि वो भवन कब काल का रूप लेकर उन पर गिर सकता है। जहॉं निगॉंहें उठाओं हालात जस के तस है।
काठमांडू के समीप बक्तपूर व ललितपुर क्षेत्र में राहत शिविरों में और भी आश्चर्यजनक भयावह आंकडे निकल कर सामने आई। भूकंम्प से मॉं बाप का साया उजड जाने से अनाथ हुए बच्चें शोषण का शिकार हो रहें है। कल तक जों राजा हुआ करते थे। शान और शौकत की जिन्दगी जिया करते थे वो भी अब प्रक्रति के विनाशकारी कहर के कारण टेन्टों में दयनीय जीवन जीने को विवश हो गये है।
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा पीडितों के पुर्नवास के लिए काठमांडू केन्द्र से समय समय पर राहत/पुर्नवास शिविर लगाये जायेंगे। पीडितों के आर्थिक विकास के लिए अक्टूबर माह में स्वरोजगार शिविरों काा आयोजन किया जायेगा। जिसमें पीडित परिवार को दैनिक रोजमर्रा के काम में आने वाली वस्तुओं का हुनर विकास प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिससे पीडित परिवार इस भयावह त्रासदी को भूलकर एक नई जिन्दगी कि शुरूआत कर सके।
भुकम्प पीडित राहत शिवर में संस्थान कार्यकर्ता अनिल जांगिड, पंकज शर्मा, दिलीप कुमार, दीपक शर्मा एवं नेपाली स्वयं सेवक, नेपाल धांधिग निवासी भरत, काठमांडू निवासी माधव छत्री व मोहन सिंह पांचखाल निवासी रोशन तांमग आदि 8 सदस्यी टीम ने निस्वार्थ भाव से कार्यक्रम को सफलतपूर्वक पूर्ण किया।

राहत शिविर लाभान्वित भूंकम्प पीडित मोहन बहादुर थापा निवासी गॉंव जिवनपुर जिला धाधिंग के शब्दों में…..
‘‘मैने भूकम्प के दौरान बहुत कुछ खोया जा बयान नहीं कर सकता। सरकार केवल जान-पहचान व शहरी क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए है। हम सुदुर एवं दुर्गम गांव वाले पीडितों कि मदद में सरकार कोई रूचि नहीं लेती है। तीन महिने से टेन्ट में अंधेरें में पत्नी के बिना जीवन बिताना पड रहा है। बूढे शरीर को सर्दी की मार झेलनी पड रहीं है। 20-25 दिन पहले जब संस्था वाले आयेे तो हमें लगा कि ये हमारे दुखों कि फिल्म बनायेंगे और वापस नहीं आयेंगे। लेकिन अब मुझे हमारे पडोसी देश पर और अधिक विश्वास हो गया है। शिविर में मिला राहत कम्बल, धान, और सोलर लाईट मेंरा दुख तो खत्म नहीं कर सकती। लेकिन जीने का सहारा जरूर देगी। इस बूढें शरीर को राहत मिल गई। इसके लिए भारत देश व संस्थान का बहुत – बहुत धन्यवाद।’’
मुख्य कार्यकारी अधिकारी
राजस्थान समग्र कल्याण
संस्थान, अजमेर

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