श्री सतगुरू बालक धाम मदनगंज किषनगढ़ में 178 वां वार्षिक मेला 28,29 व 30 जुलाई 2015 मंगलवार, बुधवार व गुरूवार को सतगुरू 1008 बाबा बालकदास, बाबा रामदास, बाबा भगवानदास, बाबा आत्मदास, ़ऋषि रामदयाल, शास्त्री देवप्रकाष का मेला महन्त श्यामदास जी के सानिध्य में धूमधाम व हर्षाेल्लास से मनाया गया।
मेले के पूर्व दिवस सोमवार को सेवाधारी माताओं ने रोट प्रसाद बनाया व मन्दिर परिसा को गंगाजल, दूध व सादे पानी से श्रद्धाभाव से अभिषेक किया।
28 तारीख मंगलवार को ब्यावर से श्री रामायण मण्डल ने सैंकड़ों भक्तों के साथ सुन्दर काण्ड का पाठ कर मेले की शुभारम्भ किया।
29 तारीख बुधवार सुबह को आसादीवार नितनेम पश्चात 11 बजे सामुहिक सुखमनी का पाठ हुआ साथ में श्री विष्णु श्रीचन्दानी अजमेर, विजय शास्त्री चित्तौड़गढ़ स्वामी नारायण दास लखनऊ ने बाबा बालकदास की महिमा का गुणगान किया। महन्त स्वरूपदास अजमेर व महन्त श्यामदास ने संगत को आर्षीवाद दिया ब्रह्मभोज में 101 ब्राह्मण व पुष्कर से पधारे सन्तों व भक्तों का भण्डारा कर सभा को विश्राम दिया गया।
29 तारीख शाम को श्री विष्णु श्रीचन्दानी ने मंच का संचालन करते हुए महिलाओं से भजन गीत शुरू करवाया स्वामी नारायण दास जी ने बाबा बालकदास जी के इतिहास की व्याख्या करते हुए कहा ‘‘ सत्गुर मुहिंजो बालकदास तार मंझा थो तारे’’ । महन्त श्यामदास ने कहा बाबा बालकदास कहते थे ‘‘ नओ सिज नई रोज़ी ’’ अर्थात बाबा बालकदास रात्री में सम्पूर्ण खाद्य सामग्री, उस समय के बर्तन, व पानी अपने आश्रम में नहीं रखने देते थे। परमात्मा पर अत्यन्त विष्वास रखते थे सुबह की रोजी परमात्मा देगा। सभा को विराम देकर आरती वन्दना के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
रात्रि को अषोक सोनी व राम सोनी, विजय शास्त्री तथा लक्षमण भगत व दिल्ली के सुखदेव भगत ने कवियों की सुन्दर रचनाऐं गाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। भक्तगण नाचने व गाने लगे इसीके साथ रात्रि करीब 2 बजे सभा को विश्राम दिया गया।
30 तारीख बुधवार को सन्त हरेष गिरी, भगत कल्लूमल, स्वामी मनोहरानन्द पुष्कर, बालक सोनू, महन्त रामदास, महन्त स्वरूपदास, महन्त हंसराम जी, स्वामी अरूणदास जी हरिद्वार सभी ने प्रवचन दिये। सन्तों ने कहा इकचित्त होकर सत्संग सुनने से प्रभु की कृपा होती है। इस अवसर पर हरिद्वार से पधारे अरूणदास जी कि लिखी पुस्तक श्रीचन्द्र चरितामृत नामक पुस्तक का सन्तों द्वारा लोकापर्ण किया गया। अखण्ड पाठ की पूर्णाहुति सभी सन्तों ने मिलकर की धर्म ध्वजा की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गई सैंकड़ों श्रद्धालूओं ने ध्वजा पर नारियल चढ़ाये। तत्पश्चात बाहर से पधारे व किषनगढ़ के भक्तांे ने आम लंगर का प्रसाद लिया।
शाम की सभा व रात्रि सभा में स्थानीय कलाकार महिला कलाकार व टीकमगढ़ से आये कलाकार ने अपने सुन्दर गीतों की प्रस्तुति दी। रात्रि को भगत लक्षमण भगत सुखदेव अषोक सोनी राम सोनी व कोल्हापुर से आये भाई हरिलाल हजुरानी ने प्रवचन दिये।
महन्त स्वरूपदास व महन्त श्यामदास, विष्णु श्रीचन्दानी ने मिलकर मेले का (पल्लव) अरदास कर सभी भक्तों की आषापूर्ण की मंगलकामना कर आर्षीवाद दिया व मेले की समाप्ति की घोषणा की।
मेले में अलग अलग समय पर अनेक भक्तों ने सेवायें की सहजवानी परिवार, गोविन्दानी परिवार, किषनानी परिवार, बाबानी परिवार मालपुरा नगरवासियों ने भण्डारे की सेवायें की।
किषनगढ़ सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत, सिन्धु नवयुवक संघ व सेवाधारीयों ने मिलकर व्यवस्थाआंे को संभाला।
