भारत में स्त्री भगवान का रूप : माला दीदी

मातृशक्ति दुर्गावाहिनी ने किया जननी का सम्मान

जननी सम्मान समारोह में 10 पुत्रियों को जन्म देने वाली माता को सम्मानित करती अतिथि।
जननी सम्मान समारोह में 10 पुत्रियों को जन्म देने वाली माता को सम्मानित करती अतिथि।
 ब्यावर में दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका माला रावल को तलवार भेंट करतीं कार्यकर्ता।
ब्यावर में दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका माला रावल को तलवार भेंट करतीं कार्यकर्ता।
जननी सम्मान समारोह को संबोधित करती दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका माला रावल
जननी सम्मान समारोह को संबोधित करती दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका माला रावल
ब्यावर में आयोजित जननी सम्मान समारोह में भाग लेती मातृशक्ति।
ब्यावर में आयोजित जननी सम्मान समारोह में भाग लेती मातृशक्ति।
ब्यावर (सुमित सारस्वत)। दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका दीदी माला रावल ने कहा कि भारत देश में स्त्री भगवान का रूप है। यहां स्त्री की पूजा होती है। यही ऐसा देश है जहां मां का स्थान भगवान और गुरु से भी ऊंचा है। वे यहां आशापुरा माता मंदिर में मातृशक्ति दुर्गावाहिनी की ओर से आयोजित जननी सम्मान समारोह में बतौर मुख्य वक्ता संबोधन दे रही थी।
माला दीदी ने कहा कि हिंदू संस्कृति दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है। यहां चंदा को मामा और सूरज को दादा कहा जाता है। यह हमारी संस्कृति और संस्कार है। इसी धरा पर रानी लक्ष्मी बाई, रानी पद्मावती, हाड़ी रानी जैसी वीर माताओं का जन्म हुआ। हम सभी का कर्तव्य है कि नारियों का सम्मान करें। बेटियों का कोख में कत्ल ना करें। बहू को बेटी की तरह प्यार दें। संयुक्त परिवार में रहें। दादा-दादी की गोद बच्चों के लिए सबसे सलामत जगह है। परिवार संस्कारों की पाठशाला है। संयुक्त परिवार में ही बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार मिलते हैं। संस्कृति का क्षय होने के कारण ही बेटियां लव जेहाद का शिकार हो रही है। बेटियां याद रखे कि गौ मांस खाने वाला कभी प्रेमी नहीं हो सकता। गाय का कत्ल करने वाला हमारा सगा नहीं हो सकता। दीदी ने स्वदेशी अपनाने का संदेश भी दिया।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने कहा कि बेटे के जन्म पर ही थाली बजाना और सम्मान करना समाज की स्थापित परंपरा है। इस रूढ़िवादी सोच को खत्म करें। बेटी के जन्म पर भी खुशियां मनाएं। बेटे की चाहत में कन्या भ्रूण हत्याएं बढ़ रही है। लिंगानुपात घट रहा है। अगर बेटियां नहीं होंगी तो बहुएं कहां से आएंगी। कुल की वृद्धि के लिए बेटी-पोती को जन्म लेने दें। सृष्टि को बचाने के लिए बेटी को बचाएं। भ्रूण परीक्षण कभी न करवाएं। बेटी लक्ष्मी और दुर्गा का रूप है। जिला प्रभारी अर्चना लोहिया ने कहा कि पुरूष की प्रगति के पीछे नारी की प्रेरणा होती है। नारी को अबला नहीं, सबला समझें। प्रांत संयोजिका अभिलाषा यादव, विहिप जिलाध्यक्ष नितेश गोयल, जिला परिषद सदस्य संतोष गोयल ने बतौर अतिथि शिरकत की। सभी अतिथियों ने तीन या तीन से अधिक पुत्रियों को जन्म देने वाली 150 से अधिक माताओं का सम्मान किया। इससे पूर्व जिला प्रभारी अर्चना लोहिया, जिला संयोजिका निशा खंडेलवाल, विहिप जिला मंत्री सुरेश वैष्णव, बजरंग दल जिला संयोजक हेमंत कुमावत ने अतिथियों का स्वागत किया। महिला कार्यकर्ताओं ने माला दीदी को तलवार भेंट की। कार्यक्रम में अलका गौड़ ने एकता मंत्र व निशा खंडेलवाल ने काव्य गीत प्रस्तुत किया। अंजू गर्ग के निर्देशन में बेटियों ने नाटिका प्रस्तुत की। प्रियंका तिवारी, ज्योति यादव, प्रिया यादव, श्रुति अरोड़ा व खुशबू ने भावपूर्ण प्रस्तुति में कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने का संदेश दिया। सिद्धिका व नंदनी ने ओ री चिरैया.. गीत पर नृत्य किया। विहिप नगर अध्यक्ष डूंगरमल सांखला ने आभार जताया। मंच संचालन अंजू शर्मा ने किया। समारोह में विहिप, मातृशक्ति दुर्गावाहिनी कार्यकर्ताओं सहित बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।

1 thought on “भारत में स्त्री भगवान का रूप : माला दीदी”

  1. muje bahut garv hai un logo par jinhone is nek kam me thodi si bhi sahyata ki hai or muje un matao ko bhi danyvaad kahna hai jinhone betiyo ko is duniya me aane ka moka diya or unhe booj nahi samja “NOW I AM PROUD OF MY INDIA “

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