अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा शाह सैय्यद मंसूर अली के वंषज एवं सज्जादानषीन डॉ. सैय्यद मंसूर अली ने देष के कई प्रदेषों में आकाल के भयावय हालात के मद्देनजर जल संरक्षण को मौजूदा वक्त की जरूरत बताते हुऐ लोगों से पानी बचाने का अव्हान किया है।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की इस बड़ी दरगाह के सज्जादानषीन सैय्यद मंसूर अली ने जारी ब्यान मे कहा कि देष के कई प्रदेष पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं पानी की कमी के कारण महाराष्ट्र के औसतन 9 किसान प्रतिदिन आत्माहत्या कर रहें है इसलिये भविष्य के लिऐ जल संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है वर्ना आने वाली नस्लें हमे माफ नहीं करेंगी। पानी की बर्बादी हमारी नस्लों को खत्म कर देगी और यह समस्या बाद मे जातिय एवं नसलीय हिंसा का रूप ले सकती है देष को किसी भयानक हालात से बचाने के लिये हर नागरीक की जिम्मेदारी है कि पानी बचाकर राष्ट्र निर्माण मंे सहयोग करे।
उन्होने मस्जिदों में नमाजियों का आह्वान करते हुऐ कहा कि वे वजू के दौरान नल से वजू करने के बजाय लोटे से वजू करें ताकि कम से कम पानी खर्च हो। पाँच वक्त की नमाज में औसतन एक नमाजी तीन-चार लीटर पानी खर्च कर देता है। यानी पाँच वक्त की नमाज में एक नमाजी रोजाना 12-15 लीटर पानी से वजू करता है। इसी पानी को बचाने की मुहिम शुरू की गई है और मस्जिदों के इमामों को राजी किया जा रहा है कि वे नमाजियों से कहें कि वजू सीधे नल के बजाय लोटे से की जाए।
उन्होने कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन योजना में पूरा सहयोग कर बारिष के पानी की बर्बादी रोकने के लिये घर-घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागु करें, बंद पड़े कुओं तालाबों और बावड़ियों को ज्योंणोधार के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुऐ जल संरक्षण में सरकार का सहयोग करें क्योंकि जल ही जीवन है।
पानी बचाने के धार्मिक उद्देष्यों का खुलासा करते हुऐ उन्होने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अपने उपदेषों में पानी बचाने पर जौर दिया था और आदेषित किया था कि अगर आप नदी के किनारे भी बैठे हों तो पानी का दुरूपयोग नही करे इस लिये पैगेम्बर मोहम्मद साहब का हर उपदेष वैष्विक सतर पर सर्व मान्य है जिसे हर धर्म के लोग पूरे सम्मान व आदर के साथ मानते है इसलिये मुसलमानों सहित सभी धर्मो के अनुयायियों को इसका अनुसरण करना चाहिये।
