एक दिन में तीन जोड़ प्रत्यारोपण

मित्तल हॉस्पिटल में ‘कूल्हा प्रत्यारोपणÓ कर युवक को पहुंचाई राहत
65 वर्षीय वृद्धा के दोनों घुटने भी बदले

मित्तल हॉस्पिटल अजमेर के अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक जैन मरीज श्रीमती ललिता माथुर को घुटना प्रत्यारोपण के बाद जांचते हुए।
मित्तल हॉस्पिटल अजमेर के अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक जैन मरीज श्रीमती ललिता माथुर को घुटना प्रत्यारोपण के बाद जांचते हुए।
मरीज प्रशांत शर्मा का एक्स-रे रिकार्ड जिसमें कूल्हा प्रत्यारोपण से पूर्व की स्थिति एवं प्रत्यारोपण के बाद की स्थिति को दर्शाया गया है
मरीज प्रशांत शर्मा का एक्स-रे रिकार्ड जिसमें कूल्हा प्रत्यारोपण से पूर्व की स्थिति एवं प्रत्यारोपण के बाद की स्थिति को दर्शाया गया है
मित्तल हॉस्पिटल में उपचार लाभ ले रहे कूल्हा प्रत्यारोपण कराने वाले युवक प्रशांत शर्मा वॉकर पर चलते हुए।
मित्तल हॉस्पिटल में उपचार लाभ ले रहे कूल्हा प्रत्यारोपण कराने वाले युवक प्रशांत शर्मा वॉकर पर चलते हुए।
अजमेर 27 मई। कहावत है कि जिसके चोट पहुंचती है पीड़ा का अहसास भी उसे ही होता है। चिकित्सा विज्ञान की प्रगति में अब हर तरह के दर्द का निवारण मिलने से लोगों को बड़ी राहत है। इससे भी बड़ी राहत इस बात की है कि उस अवस्था में जबकि चलना, उठना, बैठना भी दुश्वार हो रखा हो और घर में ही उपचार मिल जाए तो हो गई ना सोने में सुहागा वाली बात।
मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक जैन ने एक ही दिन में तीन जोड़ प्रत्यारोपण कर एक 36 वर्षीय युवक और 65 वर्षीय वृद्धा को शारीरिक पीड़ा से बड़ी राहत पहुंचाई है। डॉ. जैन ने युवक का तो कूल्हा प्रत्यारोपण किया वहीं वृद्धा के दोनों घुटने ही बदल दिए।
जानकारी के अनुसार अलवर गेट निवासी 36 वर्षीय प्रशांत शर्मा के एक पैर ने काम करना बंद कर दिया था। किसी मित्र ने प्रशांत को न्यूरो डाक्टर की सलाह लेने को कहा। एमआरआई कराए जाने के दौरान पता चला कि प्रशांत के कूल्हे की हड्डी ही टूटी हुई है। वह समझ नहीं पाया कि ऐसा क्यों हुआ जबकि वह कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ। प्रशांत शर्मा ने मित्तल हॉस्पिटल के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक जैन से सम्पर्क किया। बकौल डॉ. दीपक जैन पीडि़त प्रशांत शर्मा एवास्कुलर नेक्रोसिस ऑफ बोथ हिप (एवीएन) का रोगी था। उन्होंने बताया कि इस अवस्था में कूल्हे की हड्डी का खून का दौरा रुक जाता है, जिससे हड्डी सिकुडऩे लगती है, कई बार तो इस अवस्था में हड्डी का फ्रैक्चर भी हो जाता है। प्रशांत के ऐसा ही हुआ। उसके कूल्हे की हड्डी पूरी तरह टूटी हुई थी। प्रशांत को कूल्हा प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। जिसके तहत बिना सीमेंट वाला अत्याधुनिक जोड़ प्रत्यारोपण कर प्रशांत के कूल्हे की हड्डी बदल दी गई। डॉ. दीपक ने बताया कि कूल्हा प्रत्यारोपण का यह नवीनतम वर्जन है। इसमें पिनेकल कप और कोरेल स्टेम होता है। इसमें हैड भी बड़ा (36 एमएम) होता है जिससे डिसलोकेशन के चांस कम होते हैं और मूवमेंट अधिक होता है। डॉ. दीपक ने बताया कि प्रशांत को अब पूरी तरह से राहत है। अभी वह वॉकर के सहारे चल पा रहा है। डॉ. दीपक ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में ही उन्होंने 65 वर्षीय वृद्धा के दोनों पैरों के घुटने बदले हेैं। उन्होंने बताया कि प्रगति नगर कोटड़ा निवासी श्रीमती ललिता माथुर विगत कई वर्षों से घुटने में दर्द के रहते चलने-फिरने की तकलीफ उठा रही थी। श्रीमती ललिता माथुर के पति त्रिलोकी नाथ माथुर ने बताया कि श्रीमती ललिता के घुटने प्रत्यारोपण कराए जाने का विचार लम्बे समय से हो रहा था पर उपयुक्त परिस्थितियां नहीं बन पा रही थीं। उन्होंने बताया कि अजमेर में मित्तल हॉस्पिटल में उनकी पत्नी का घुटना प्रत्यारोपरण हो जाने से वे बेहद राहत महसूस कर रहे हैं। अन्यथा यह सोच कर ही परेशान थे कि उन्हें उपचार के लिए अजमेर से बाहर लेजाना होगा।

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