धनराज व मैना अपना हक मिलने पर हुए भाव-विभोर
उपखण्ड अधिकारी श्री जगदीशनारायण बैरवा ने बताया कि मेवदाकलां में आयोजित शिविर में धनराज जाट व उसकी बहन मैना जाट पिता रामेश्वर जाट ने उपस्थित होकर आवेदन कर बताया कि इनके दादाजी खाना पुत्रा नारायण का स्वर्गवास 10-12 वर्ष पूर्व हो चुका है एवं उनके 3 पुत्रा क्रमशः जगदीश, रामेश्वर एवं प्रधान तथा पुत्रियां कमला, कैलाश, लाली व बदाम सहित कुल 7 वारिस हैं। जिसमें से उनके पिता रामेश्वर पुत्रा खाना का स्वर्गवास दादाजी से पूर्व ही हो चुका था। इस प्रकार विरासत दर्ज करते समय धनराज व मैना के मृतक पिता का हिस्सा छोड़कर शेष 6 वारिसान का नाम दर्ज कर लिया गया। प्रार्थीगण ने बताया कि विरासत में उनका 1/7 हिस्सा दर्ज़ करवाकर न्याय दिलवाया जाए।
शिविर प्रभारी ने प्रकरण की जांच तहसीलदार केकड़ी श्री रमेश माहेश्वरी से करवाई। जिसमें प्रार्थीगण के आवेदन की पुष्टि हुई कि विरासत में उनका नाम छूट गया है, जिसे जोड़ा जाना आवश्यक है। शिविर में प्रभारी जगदीशनारायण बैरवा ने प्रार्थी धनराज व मैना के ताऊ जगदीश व चाचा प्रधान को मौके पर बुलाकर समझाईश की और राजीनामा पर हस्ताक्षर करवाकर शिविर में ही वाद का निस्तारण करते हुए मृतक खाना की विरासत में 1/7 हिस्से में प्रार्थी धनराज व मैना को खातेदार घोषित कर राजस्व रिकार्ड की प्रति सौंपी। शिविर में वर्षां बाद अपने दादा की विरासत में हाथोंहाथ न्याय मिलने से धनराज व मैना की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े, उन्होंने प्रशासन व सरकार को घर के समीप ही न्याय की व्यवस्था के लिए धन्यवाद दिया। –00–
