अजमेर 16 जून। सिंधुपति महाराजा दाहरसेन के 1304 बलिदान दिवस के अवसर पर सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक, हरिभाउ उपाध्याय नगर पुष्कर रोड पर चतुर्थ राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन सम्मान 2016 श्री प्रेम प्रकाश मण्डल ट्रस्ट, श्री अमरापुर स्थान, जयपुर को प्रदान किया गया, सम्मान मंे रूपये 51000 के साथ स्मृति चिन्ह, शॉल, श्रीफल, दिया गया व देशभक्ति पर आधारित कार्यक्रम, हिंगलाज माता की पूजा-अर्चना व द्ाहरसेन को श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ संत महात्माओं का आर्शीवचन व रंग भरो प्रतियोगिता के विजेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा व सिंधुपति महाराजा दाहरसेन विकास एवं समारोह समिति का सहयोग रहा।
मुख्य अतिथि माननीय मंत्री सामाजिक न्याय व अधिकारिता, डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि महापुरूषों एवं स्वतंत्रता सेनानियों ने जीवन से सभी को प्रेरणा देता है दाहरसेन स्मारक आज इस नाते पहचान देता है। यहां आकर देश और समाज के लिये कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। महापुरूषों को हजारों वर्षों के बाद याद किये जाते है जिन्होंने देश के लिये निःस्वार्थ बलिदान दिया था, उन्होंने संस्कृति को बचाया, उनकों यादकर देश को देने का भाव पैदा होता है। लखावत जी ने जो यह स्मारक बनाया जो प्रेरणा का काम कर रहा है।
महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम जी महाराज ने अपने आर्शीवचन में कहा कि वीर व संत के बिना यह धरती नहीं बच सकती। हमारी भी ऐसी संताने हो जो देश के लिये जिये। इस अवसर पर शातानन्द आश्रम के महंत स्वामी हनुमानराम जी के साथ आये संत महात्माओं का आर्शीवाद प्रदान किया।
राजस्थान सरकार में धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि धरती पर यदि स्वर्ग है तो सिंध है, दाहरसेन के बिना सिंध अधूरा है व आज यह स्मारक बनाना सार्थरक हो गया। सिंध की मोइन जोदड़ों की सभ्यता सबसे पुरानी है। सिंधुमित्र बप्पा रावत का स्मारक के लिये सरकार ने स्वीकृति दे दी है।
समारोह में शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल, महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, उप-महापौर सम्पत सांखला भारतीय सिन्धु सभा के प्रदेश संगठन महामंत्री मोहनलाल वाधवाणी,जयपुर बाडमेर से श्री तेजदानसिंह जी, देवीदान ने राणा रतन सिंह पर छंद प्रस्तुत किया। रणवीर सिंह सोड़ा, हुकुम सिंह ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम प्रारम्भ होने पर महाराजा दाहरसेन सर्किल से श्री प्रेम प्रकाश सेवा ट्रस्ट, श्री अमरापुर स्थान, जयपुर के गद्ेसर सांई नन्दलाल जी, स्वामी बसंतराम दरबार, अजमेर के सांई ओमप्रकाश शास्त्री, बग्घी पर बैठाकर, बैण्ड वादन पुष्पवर्षा के साथ स्मारक के मुख्य द्वार तक हरिभाउ उपाध्याय नगर विस्तार के पदाधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया। इसके पश्चात् सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन का चतुर्थ राष्ट्रीय सम्मान श्री प्रेम प्रकाश सेवा ट्रस्ट, श्री अमरापुर स्थान, जयपुर कारूपये 51000 का चैक, शॉल, श्रीफल, माला श्री अमरापुर स्थान, जयपुर के गद्ेसर सांई नन्दलाल जी, स्वामी बसंतराम दरबार, सांई ओमप्रकाश शास्त्री, अजमेर, श्री गोवर्धन आसनानी, जयपुर को प्रदान किया गया। इसे प्रेम प्रकाश सेवा ट्रस्ट से आये संतों ने 51 हजार रूपये का चैंक व 11 हजार रूपये दाहरसेन समारोह समिति को स्थायी निधि के रूप में वापस भेंट कर दिये।
हिंगलाज माता व जगदगुरू श्री श्रीचन्द्र जी की पूजा अर्चना, महापुरूषों के चित्रों पर श्रृद्धासुमन अर्पण व महाराजा दाहरसेन के मूर्ति पर श्रृद्धासुमन अर्पित किये गये।
राष्ट्रगीत वन्दे मात्रम कुमारी ममता तुलस्यिाणी ने व देश भक्ति गीत देवीदास दीवाना, होतचन्द मोरियाणी, लक्षमणदास दौलताणी व दिनेश जी, भीलवाडा द्वारा दाहरसेन पर कविता प्रस्तुत कर लोगों की वाह वाही लूटी।
समारोह समिति की ओर से स्वागत भाषण कंवलप्रकाश किशनानी व आभार नवीन सोगानी द्वारा किया गया। मंच का संचालन आभा भारद्वाज व महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। हिंगलाज माता पर पूजा अर्चना ताराचन्द राजपुरोहित व लक्षमणदास दौलताणी ने कराई।
स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी अमर शहीद राणा रतन सिंह की मूर्ति का स्मारक पर हुआ अनावरण
अतिथियों व संत महात्माओं के करकमलों द्वारा स्मारक पर स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी शहीद राणा रतनसिंह जी सोढ़ा की मूर्ति का अनावरण किया गया। उनका जन्म 19वीं शताब्दी के तीसरे दशक में सोढ़ा शासकों के आधिपत्य वाले अमरकोट, धाट (सिंध) में हुआ था। ब्रिटिश साम्राज्य ने अमरकोट के धाट क्षेत्र को अपने अधीन करने के लिए प्रतिनिधि नियुक्त किये। राणा रतनसिंह और उनके सहयोगी भगूजी संगरासी ने ब्रिटिश शासन का विरोध किया एवं उसके अत्याचारोंसे मुक्ति हेतु प्रतिनिधि को मौत के घाट उतार करसन् 1857 की स्वातन्त्र्य ज्वाला को प्रज्ज्वलित रखा। ब्रिटिश सेना ने क्रान्तिकारी राणा रतनसिंह को गिरफ्तार कर फांसी पर चढ़ा दिया और उनके साथी भगूजी को कालापानी की सजा सुनाई। राणा रतन सिंह की शूरता, स्वातन्त्र्य-प्रेम और बलिदान की गाथा के प्रेरणादायी लोकगीत आज भी सिंध और राजस्थान में गाये जाते हैं।
रंगभरो प्रतियोगिता के विजेता होगें सम्मानित
स्वामी सर्वानन्द विद्यालय, आशा गंज में रंगभरो प्रतियागिता के प्रथम वर्ग कक्षा 1 से 5 में प्रथम स्वर्णा चौधरी, द्वितीय मिताली कोटवाणी, तृतीय दृष्टि लालवाणी, द्वितीय वर्ग कक्षा 6 से 11वीं में प्रथम ईशा गिदवाणी, द्वितीय स्मरण कुर्डिया, तृतीय हर्षिता ठारवाणी, झूलेलाल मन्दिर मदार के प्रथम वर्ग में प्रथम स्थान कीर्तिका, द्वितीय रोहित, तृतीय स्थान लोकेश, दूसरे वर्ग में प्रथम वर्षा बच्चाणी, द्वितीय कशिश तोलाणी, तृतीय नितेश सोनी, भारतीय सिन्धु सभा अजयनगर ईकाई के प्रथम वर्ग में प्रथम भूमिका ने, द्वितीय दीपिका गुरबाणी, गुंजन केसवाणी, तृतीय परी व प्रकाश, दूसरे वर्ग में प्रथम भूमिका नाथानी, द्वितीय गीता, तृतीय अमन लालचंदाणी, लवीना, प्रेम प्रकाश आश्रम देहली गेट के प्रथम वर्ग में प्रथम जिया आलवाणी, द्वितीय कशिश सावलाणी, तृतीय हेमेश व अशोक, द्वितीय वर्ग में प्रथम जस सोनी, द्वितीय चन्द्रप्रकाश, तृतीय संतोष सोनी, भारतीय सिन्धु सभा धोलाभाटा के प्रथम वर्ग में प्रथम साहिल भम्भानी, द्वितीय हिमांशु शर्मा, तृतीय भूमिका आसवानी, दूसरे वर्ग में प्रथम खुशबू साधनानी, द्वितीय चिराग थावानी, तृतीय कमलेश थावानी, विधाय पब्लिक स्कूल मदार के प्रथम वर्ग में प्रथम आमिर आलम, द्वितीय रोहित राज, तृतीय प्रेरणा खटीक, हरप्रित कौर, दूसरे वर्ग में प्रथम आरती शर्मा, भूमिका जेनवाल, तृतीय लक्ष्मी व सीमा मीणा के अलावा भारतीय सिन्धु सभा नसीराबाद ईकाई के विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
चतुर्थ राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन सम्मान 2016
श्री प्रेम प्रकाश मण्डल ट्रस्ट, श्री अमरापुर स्थान, जयपुर को प्रदान किया
सद्गुरू स्वामी टेउराम जी की आर्शीवाद से दुनियाभर में प्रेम प्रकाश आश्रम के माध्यम सनातन धर्म से जोडकर सभी को ज्ञान मार्ग पर साथ लेकर चलने का पवित्र कार्य किया जा रहा है। जीवन मूल्यों के संरक्षण के लिये नियमित दुनियाभर में स्थापित आश्रमों में सत्संग में संतो द्वारा मार्गदर्शन व आर्शीवाद दिये जाते है। सिन्धु सभ्यता पर किये गये शोध कार्य के लिये विद्यार्थियों को सदैव प्रेरणा का कार्य किया जा रहा है जिसमें सिन्ध व हिन्द के साहित्यकारों का साहित्यिक सहयोग, लेखन कार्य में वरिष्ठ साहित्यकारों को जोडना एवं सिन्धी भाषा, सभ्यता व संस्कृति के सर्वंद्धन हेतु अनेकों किताबों का प्रकाशन करवाया गया है, जो एक मिसाल है। सिन्ध से आये विस्थापितों के परिवारों को सहयोग देना।
इसके अलावा प्रेम प्रकाश मण्डल के देशभर में आश्रमों में भी निरंतर अनेक सेवा कार्य, सभ्यता व संस्कृति का ज्ञान बढाने हेतु युवा पीढी में प्रेरणादायी कार्य किये जा रहे है जिसे देश दुनिया में बहुत अधिक प्रेरणादायी है।
पूर्व में दिये गये राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन सम्मान
उल्लेखनीय है कि प्रथम सम्मान वर्ष 2013 में इण्डियन इंस्ट्यिूट ऑफ सिन्धोलॉजी, आदीपुर, गांधीधाम को एवं द्वितीय सम्मान वर्ष 2014 को शदाणी दरबार, रायपुर (छतीसगढ) के सन्त युधिष्ठरलाल जी को तृतीय सम्मान वर्ष 2015 में सीमा जन कल्याण समिति जोधपुर को समारोहपूर्वक कार्यक्रम आयोजित कर प्रदान किया गया था।
कार्यक्रम समन्वयक,
मो. 094131 35031