आदरणीय साथियों,
हमारे कुछ भाई ट्रेड यूनियनों पर छींटाकशी करे रहे है । मेरे विचार में यह उचित नहीं है । आज रेलवे का जो अस्तित्व बचा हुआ है वो ट्रेड यूनियनों के कारण ही है । आज बैंक के केशियर से रेलवे के चपरासी,गेंगमैन, गेटमैन का वेतन ज्यादा है तो वो केवल ट्रेड यूनियन के कारण ही है । वर्णा बीएसएनएल विभाग का हाल देखो वहाँ सेवाकाल के दौरान मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को कड़े नियमों की वजह से केवल पांच प्रतिशत को ही अनुकंपा आधार पर नौकरी मिल पाती है बाकी को नहीं मिलती है इतने सख्त मापदंड बना रखे है। आज हमें बोनस तथा अन्य भत्ते जो मिल रहे है ये ट्रेड यूनियन की ही देन है । सबसे बड़ी बात है अभी कारपोरेट व विदेशी कंपनियों की नजर रेलवे पर ही है वो चाहती है कि उनकी निजी रेल हो तथा रेलवे की शहरों के बीच में खाली जमीन पर उनके फाईव स्टार होटल हो । अर्थात् उनकी ही रेल हो उनके ही होटल हो और रेलवे पर उनके ही प्रोडक्ट की बिक्री हो । वे सरकार पर रेलवे के निजीकरण का दबाव बना रही है ।
इसलिए मेरे भाईयों ट्रेड यूनियन को मजबूत बनाये रखो ताकि रेलवे का अस्तित्व बचा रहे और यदि यूनियन कमजोर पड़ गई तो रेलवे को निजी हाथों में जाते समय नहीं लगेगा । हमे प्लेटफार्म पर भी टिकट खरीदकर जाना पड़ेगा । इसलिए मेरे इस सुझाव पर गौर करे । मैं कोई ट्रेड यूनियन का पदाधिकारी नहीं हूं लेकिन फिर भी ट्रेड यूनियन का समर्थक हूं । तथा चाहता हूंकि रेल कर्मचारियों के हित में ट्रेड यूनियन मजबूत रहे।
सुरेश खेमानी