अजमेर/राजस्थान में नाट्यविधा के व्यापक प्रसार करने वाले रंगकर्म के पुरोधा सिद्धहस्त नाटककार, नाट्य दिग्दर्शक, संवेदनाओं के विरले कवि मंगल सक्सेना का 80 वर्ष की आयु में शुक्रवार 29 जुलाई को उदयपुर में निधन हो गया। राजस्थान साहित्य अकादमी के सचिव रहते हुए उन्होंने नयी पीढ़ी में साहित्य चेतना का संचार किया और राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंनें प्रदेश भर में नाट्य शिविरों का आयोजन कर स्वयं उनमें प्रशिक्षक के रूप उपस्थित रहकर नाट्यकर्म की अलख जगाई। अकादमी सहित अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों से पुरस्कृत विलक्षण प्रतिभा के धनी सक्सेना का अजमेर से भी गहरा नाता रहा। यह जानकारी देते हुए रंगकर्मी उमेश कुमार चौरसिया ने बताया कि वे कई वर्षाें तक अजमेर में रहे और मैंने उनकी रंगकर्म के प्रति जीवटता और समर्पण भाव को निकटता से अनुभव किया है।
बाल साहित्यकार सुधीर सक्सेना और ग्लोबल कॉलेज के ठाराणी जी के निवास पर रहते हुए उन्होंने काव्य व नाट्य सृजन जारी रखा था। उन दिनों वे काफी बीमार भी रहे और गंभीर आर्थिक तंगी का सामना भी उन्हें करना पड़ा। उनकी वोकलकोड में खराबी के कारण एक बार उनकी आवाज ही बन्द हो गई थी। तब भी क्षीण होती नाट्यविधा के प्रति उनकी चिंता बनी रहती थी। जब भी उनसे मिलते तो कविता और नाटक की ही चर्चा होती थी। इन्हीं दिनों नाट्यवृंद संस्था के प्रयासों से साहित्य अकादमी की तात्कालीन अध्यक्षा अजीत गुप्ता ने स्वयं अजमेर आकर उन्हें आर्थिक सहायता राशि का चैक सौंपा था। सक्सेना जी ने अजमेर में भी एक माह का नाट्य शिविर लगाया था, लाखन सिंह व श्याम माथुर जैसे माहिर नाट्यकर्मी उसी की देन हैं। सक्सेना के निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए चौरसिया ने कहा कला और साहित्य के प्रति जीवन समर्पित कर देने वाले कलाविदों-साहित्यकारों को वृद्धावस्था में आर्थिक सम्बल प्रदान करने की पुख्ता योजना सरकार को बनानी चाहिए। नाट्यवृंद के कलाकारों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है।
-उमेश कुमार चौरसिया
अध्यक्ष ‘नाट्यवृंद‘
संपर्क-9829482601
30.07.2016