‘द मेयो ग्लोबल राउंड स्कवेयर कांफ्रेंस: चौथा दिन बच्चों के लिए रोचक

_dsc7302‘द मेयो ग्लोबल राउंड स्कवेयर कांफ्रेंस 2017 का चौथा दिन बच्चों के लिए खासा रोचक रहा. दोपहर से पहले सभी बच्चे हाडौती महल, देवगढ, सामोद और जयगढ़ की यात्राओं से लौटे. उनसे बात करने के लिए भारत के मशहूर पपेटियर दादी पदमजी मेयो में आ चुके थे. दोपहर के खाने के बाद उन्होंने बच्चों को संबोधित किया. इसमे उन्होंने पूरी दुनिया के पपेट के इतिहास और वर्तमान के बारे में बात किया. उन्होंने अलग-अलग तरह के पपेट के बारे में बात की और मनुष्य के संवाद के माध्यम के रूप में उसका महत्त्व बताया.
कला के अन्य विधाओं और पपेट के बारे में उन्होंने समझाया. अभिनय के क्षेत्र में इसकी अलग पहचान दिखाई. कई सारे पपेट दिखाते हुए अपनी बात को बहुत रोचक बनाकर पेश किया. ग्यारह से तेरह साल के बच्चों के लिए ये बहुत दिलचस्प रहा.
इसके पश्चात् विभिन्न बराज़ा सेशन के भीतर पानी और उसके संरक्षण की महत्वपूर्ण जानकारियों पर किशोर बच्चों ने चर्चा की. इस चर्चा से युवा बच्चों में पानी को बचाने की भावना प्रबल होगी. पानी के संरक्षण को लेकर जानकारी फैलाने के लिए बच्चों ने सन्देश भी लिखे. कांच की बनी हुई मछलियों के मुख से निकलने वाले बुलबुलों पर उन्होंने अपने सन्देश लिखे. अलग-अलग भाषाओ में ये ‘सेव वाटर’ लिखे गए. इसके साथ बिसलेरी के पुराने बोतलों को काटकर एल इ डी लाईट बनाई गई. इससे पुराने सामान के इस्तेमाल और ‘मेकिंग एवरी ड्राप काउंट’ के कांफ्रेंस थीम को ही मजबूती मिली.
शाम में श्री पदमजी ने ‘कल्पतरु’ नामक नाटक प्रदर्शित किया. यह प्रस्तुति मेयो कॉलेज गर्ल्स और मेयो कॉलेज के बच्चों की एक दिन की कार्यशाला में तैयार हुई. इसमे शैडो पपेट का इस्तेमाल हुआ जिनको बच्चों ने कल बनाया था. यह एक बच्चे और उसके दोस्त पेड़ के बारे में था. इससे पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के साथ त्याग और बड़प्पन की भावना का विकास हुआ.
रात में कांफ्रेंस में आए शिक्षकों ने आपस में चर्चा और आदान-प्रदान किया. इसके साथ यह रोचक दिन समाप्त हुआ.

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