अम्बेडकर जयन्ती के उपलक्ष में विचार संगोष्ठी का आयोजन

IMG_20170413_114238अजमेर 13 अप्रेल ( )। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर में रूक्टा (राष्ट्रीय) की स्थानीय इकाई द्वारा डॉ0 भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के उपलक्ष में एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए रूक्टा (राष्ट्रीय) के महामंत्री डॉ0 नारायण लाल गुप्ता ने सामाजिक समरसता को भारतीय समाज की वास्तविक पहचान बताते हुए डॉ0 अम्बेडकर के अप्रतिम योगदान की वर्तमान प्रासंगिकता को रेखांकित किया। डॉ0 गुप्ता ने कहा कि यह त्रासदी है कि जिन बाबा साहब ने सदियों से विषमता और विपन्नता की पीड़ा झेल रहे समाज की समता और न्याय के लिये ईमानदारी से प्रयत्न कर पूरे देष के लिये कार्य किया, कुछ राष्ट्रविरोधी शक्तियां उनकी विराटता को सीमित करते हुए उन्हें मात्र दलित वर्ग के मसीहा के रूप में समेट देना चाहती है। उनका व्यक्तित्व और विचार भारतीयता के प्रतीक हैं। शुद्ध, सात्विक संस्कारी कबीर पंथी परिवार में पैदा हुए बाबा साहेब ने देष-विदेष की उच्चतम शैक्षणिक उपलब्धियों के बावजूद अस्पृष्यता जैसी घृणित सामाजिक बीमारी को न केवल स्वयं झेला बल्कि समाज के बड़े वर्ग को उसका षिकार होते हुए देखा। डॉ0 गुप्ता ने इस समस्या के समाधान हेतु संविधान को एक सकारात्मक शास्त्र के रूप में प्रयोग करने के उनके योगदान को, भारत के लिये सबसे बड़ा उपहार बताया। डॉ0 गुप्ता ने कहा कि डॉ0 अम्बेडकर राष्ट्र नायक हैं तथा अतिवादी सोच के स्थान पर तर्कपूर्ण विष्लेषणात्मक शैली के आधार पर उनका सम्मान होना चाहिये।

विचार संगोष्ठी में भाग लेते हुए डॉ0 रेखा यादव ने बौद्ध दर्षन की विषिष्टताओं व डॉ0 अम्बेडकर के उनके प्रति आकर्षण की गहन विवेचना करते हुए वर्तमान में विद्यमान धार्मिक अस्मिता और वैचारिक संकट को रेखांकित किया। विचार संगोष्ठी में भाग लेते हुए डॉ0 मनोज अवस्थी ने कहा कि समाज को पारलौकिकता से तर्क की ओर जोड़ने वाली डॉ0 अम्बेडकर की विचारधारा, भारत के विकसित राष्ट्र बनने की पहली कड़ी है। डॉ0 अवस्थी ने बताया कि अम्बेडकरजी के पूरे जीवन में उन्होंने धार्मिक आडम्बरों व प्रतिष्ठानों में प्रवेष के स्थान पर षिक्षा व राजनैतिक संगठनात्मकता पर अधिक बल दिया।

डॉ0 रामानन्द कुलदीप ने इस संगोष्ठी में सामाजिक समरसता निर्माण हेतु षिक्षण संस्थानों की भूमिका को अति महत्वपूर्ण माना। डॉ0 कुलदीप के अनुसार यह वैचारिक शुद्धि ही समाज निर्माण व विकास का मूलमंत्र बन सकती है तथा षिक्षक समुदाय यदि बिना किसी पूर्वाग्रह के डॉ0 अम्बेडकर के तार्किक विचारों का बीजारोपण विद्यार्थियों में कर पाये तो यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी। संगोष्ठी में विचार अभिव्यक्त करते हुए डॉ0 दीपक मेहरा ने कहा कि विष्व के सबसे व्यापक व संतुलित संविधान के निर्माण के लिये भारत सदैव डॉ0 अम्बेडकर का ऋणी रहेगा। डॉ0 मेहरा ने कहा कि विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से भारत की सामाजिक व सांस्कृतिक एकता को सुनिष्चित करने के उनके प्रयास उन्हें भारत के सर्वाधिक प्रतिभाषाली व्यक्तियों में स्थान दिलाते हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्राचार्य डॉ0 एस.के. देव व विषिष्ट अतिथि के रूप में उपाचार्य डॉ0 अषोक केवलरामानी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 ए.के. अरोड़ा ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 अनूप आत्रेय ने किया।

(संजय तोमर) स्हसचिव स्थानीय इकाई

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