अध्यात्म के अनूठे रंग में रंगने में डूबनी आरम्भ हो गई नगरी

DSC_2186अजमेर। धर्म एवं अध्यात्म की नगरी अजमेर सोमवार से अध्यात्म के अनूठे रंग में रंगने में डूबनी आरम्भ हो गई। बाल संत गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने अपनी अनूठी शैली में ठाकुर जी को अतिप्रिय ’’नानी बाई का मायरा” एवं मीरा चरित्र की कथा का रसपान करवाना आरम्भ किया तो आज़ाद पार्क में मौजूद हज़ारों श्रदालु भाव-विभोर हो उठे।
सोमवार को पहले दिन की कथा में गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि भगवान के स्मृति भाव से ही कल्याण प्राप्ति होती है। भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं कि मेरी गायें ही मेरा ईश्वर हैं। गायों का हितचिंतन सिर्फ श्री कृष्ण ने ही किया। हमारा मन मटकी के समान है। यदि हम भक्ति भाव रूपी जामन उसके दूध में डालेंगे तो श्री कृष्ण आपके मन माखन खाने अवश्य आएंगे। दुनियावी चोर सोने की चैन चुराते हैं जबकि भगवान् हमारे दिल का चैन चुराते हैं। उन्होंने नानी बाई रो मायरो के रचियता नरसी मेहता जी का परिचय देते हुए बताया कि बचपन में ही उनके माता-पिता का देवलोकगमन हो गया। मूक-बधिर बालक नरसी मेहता का पालन-पोषण उनकी दादी ने किया। संत का रूप धारण करके आये भगवान् श्री कृष्ण के आशीर्वाद से नरसी मेहता को बोलने और सुनने की शक्ति प्राप्त हुई।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि संत से वही बात पूछनी चाहिए जिससे कि उनका मन भी प्रसन्न हो। उन्होंने कहा कि मन की भावना प्रबल हो तो कोई कार्य असंभव नहीं है। बालकों में आरम्भ से प्रणाम और आदर के संस्कार डालने चाहिए टीवी ही वे अपने जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। दवाओं से कोई व्यक्ति उतना स्वस्थ नहीं होता जितना प्रसन्नता, आस्था और विश्वास से होता है। दुनिया किसी अन्य लड़ना उतनी बड़ी बात नहीं है जितना अपने मन के विकारों से लड़ना बड़ी बात है।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कथा के दौरान बताया कि भगवान् शंकर की तपस्या से भगत नरसी मेहता को भगवान् श्री कृष्ण के महारास मे शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्री कृष्ण ने नरसी मशाल पकड़ने का काम सौंपा क्योंकि भगवान खुद भी भक्त के साथ रहना चाहते हैं। भगवान् भक्त की हर पीड़ा को अपने ऊपर ले लेते हैं। घर में रहते हुए भी यदि पूर्ण मनोयोग से भजन किया जाये तो भगवान् स्वयं भक्त के साथ होते हैं।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने “मेरो प्यारो नन्दलाल किशोरी राधे” भजन के साथ कथा का शुभारम्भ किया। उन्होंने कथा के दौरान मैं तो शिव शिव को ध्याऊँ, कान्हो बैठो कदम्ब तेरी डारियाँ री, आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले, सगां रो कागद आया छे जी, बायां गिरधर रा गुण गावो रे आदि भजन भी सुनाये।
मंगलवार कथा में भगत नरसी मेहता बेटी नानी बाई के यहाँ मायरा ले जाने, रस्ते में आने वाले कष्टों के दूर होने, मायरे की दूसरी पत्रिका आदि प्रसंगो का वर्णन किया जायेगा।
प्रारम्भ में कथा के मुख्य यजमान श्री शिवशंकर फतेहपुरीया पवन, हरिश एवं श्री राम फतेहपुरीया ने व्यास पीठ पूजन कर कथा का वंदन किया । गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज के पंडाल में प्रवेश करते ही समूचा पांडाल जय-जयकार से गूँज उठा। समाज सेवी कालीचरण दास खण्डेलवाल, ओमप्रकाश मंगल के मार्गदर्शन में कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसका संयोजन एवं संचालन उमेश गर्ग कर रहे है। यजमान शिव शंकर फतेहपुरीया के साथ सहयोगकर्ता जगदीश गर्ग, रमाकांत बाल्दी, शंकर लाल बंसल, सीताराम मंत्री, दिनेश परनामी कमल मूंदडा, शैलेन्द्र अग्रवाल विष्णु गर्ग एवं भजन गायक एवं समाज सेवी विमल गर्ग, अशोक तोषनीवाल, जगदीश गर्ग पूरे मनोयोग से सेवा में संलग्न हैं।
कथा के लिये भव्य सुविधायुक्त पंडाल बनाया गया है और झरनेश्वर सेवा समीति ने पेयजल की कमान संभाली है एवं केशव माधव परमार्थ मण्डल एवं विनीत कृष्ण पारीक अपने साथियों के साथ प्रसाद वितरण व्यवस्था को संभाला है। इसी क्रम में माँ भारती ग्रुप राजस्थान, भारती श्री वास्तव, अभिलाषा यादव, शिवरतन वैष्णव, पूनम मारोठीया, पवन ढिल्लीवाल अपने साथियों के साथ पंडाल व्यवस्था सम्भाल रहे हैं। चरण पादुका, पार्कींग, सुरक्षा की व्यवस्था विष्व हिन्दू परिषद के तत्वाधान श्री सत्यनाराण भंसाली शशि प्रकाश इन्दौरीया, लेखराज सिंह राठौड. अलका गौड. सम्भाल रहे हैं। मंच सज्जा पवन मिश्रा, गोपाल गोयल, साफ सफाई पार्षद महेन्द्र जैन मित्तल, धर्मेन्द्र शर्मा एवं अशोक टांक, एवं कार्यालय व्यवस्था तुलसी सेवा संस्थान के किशनचंद बंसल, डाॅ. विष्णु चैधरी के देखरेख में किया ।

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