प्रेम भाव का नाम है राधा : शास्त्री

अजमेर, 25 मई। पंडित रविशंकर शास्त्री ने कहा कि प्रियाजी सरकार के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए। प्रेम भाव का नाम ही राधा है। वे गणेश नगर स्थित टेकरेश्वर धाम में आयोजित संगीतमय श्रीमदभागवत कथा के द्वितीय दिवस प्रवचन दे रहे थे।
कथावाचक ने कहा कि भक्ति में भाव जरूरी है। भाव में डूबकर प्रभु को याद करते हुए अश्रु आ जाए तो समझिए भक्ति सार्थक हुई। प्रार्थना कीजिए कि ठाकुर मैं आपका और आप मेरे। मीरा बाई गाती थी कि पायो जी मैंने रामरतन धन पायो। उन्होंने भक्त चरित्र सुनाते हुए कहा कि भक्ति में शक्ति है। भाव से पुकारो तो भगवान अवश्य आते हैं। भक्त प्रहलाद, मीरा, अहिल्या प्रमाण हैं। भाव से अर्पण करो तो भगवान स्वीकार करते हैं। भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाए। भक्ति में विश्वास होना चाहिए। लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा.. भजन पर श्रोता झूम उठे। पं.ज्योतिस्वरूप शर्मा ने विधान पूजन करवाया। मंच संचालन सुमित सारस्वत ने किया। कथा में मुख्य यजमान फूलचंद प्रजापति, गीता प्रजापति, कमला जोशी, बीना दाधीच, आशा जोशी, मनीषा राघव, प्रियंका प्रजापति, अनुकंपा जोशी, संगीता प्रजापति सहित कई महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए। शनिवार को ध्रुव चरित्र व नृसिंह अवतार प्रसंग का गुणानुवाद होगा।
संस्कारों के अभाव में खुले वृद्धाश्रम
कथावाचक शास्त्री ने कहा कि बच्चों को भक्ति संस्कार दें। कार्टून चैनल दिखाएंगे तो बच्चे बड़े होकर कार्टून जैसा ही काम करेंगे। संस्कारों वाले देश हिंदुस्तान में वृद्धाश्रम खुलना बेहद शर्म की बात है। इसके लिए माताएं जिम्मेदार है। अगर माताओं ने अपने बच्चों को संस्कार दिए होते तो बेटा अपने मां-बाप को वृद्धाश्रम नहीं भेजता। माता चाहे तो अपने पुत्र को ध्रुव और प्रहलाद बना सकती है।

सुमित सारस्वत
मो.09462737273

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