अजमेर पट्टी कटला स्थित नवीन लक्ष्मीकान्त जी के मन्दिर में 9 सितम्बर से चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा में प्रातः आचार्य पं॰गोविन्द जी, पं॰आनन्द जी एवं पं॰बालकृष्ण व्यास जी ने वैदिक मन्त्रों के द्वारा मंडल पूजन करवाया। द्वितीय दिन की कथा अपराह 1ः15 बजे से प्रारम्भ हुई। कथा व्यास संन्यास आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी शिवज्योतिषानन्द जी महाराज ने दूसरे दिन की कथा प्रारम्भ करते हुए कहा कि जिस मनुष्य पर भगवान की कृपा होती है उसको संत मिल जाते है, जब संत मिलते है तो मनुष्यों को वसन्त ऋतु की तरह हरा-भरा कर देते है। स्वामी जी ने सृष्टि सम्बन्धित कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान नारायण जल में रहते हैं जल ही उनका अयन है और वह जल निर्मल है, यदि हम भी भगवान को हृदय में बैठाना चाहते है तो हमारा मन निर्मल होना चाहिए। यदि हृदय में छल कपट है तो भगवान का वास संभव नहीं है। भगवान के 24 अवतारों की कथा श्रवण के प्रसंग को विधिवत् रूप से श्रवण कराते हुए स्वामी जी कहते है कि भगवान ने सबसे पहले जल से अवतार लेना प्रारम्भ किया था, भगवान का पहला अवतार जल में हुआ और दूसरा अवतार जल थल में रहने वाले कश्यप के रूप में हुआ, बाद में भगवान ने सुअर के रूप में अवतार धारण किया और जल में प्रवेश करके हिरण्याक्ष राक्षस का वध किया। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य मन में संतोष रखता है वह सुखी है, हिरण्याक्ष ने लोभ किया, धरती को कब्जा किया तब भगवान ने उसका उद्धार किया। संतोषी आदमी आजादी से जीता है, लोभी आदमी को हमेशा भय रहता है इसीलिए मनुष्यों में संतोष होना चाहिए। कथा के बीच में लोहागल ललितेश्वर महादेव चित्रि संधान केन्द्र के साध्वी अनादि सरस्वती जी पधारी उन्होंने सभी भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया । उन्होंने कहा कि भगवान की कथा हमेशा श्रवण करते रहना चाहिए यह श्रवण ही नवदा भक्ति में से एक भक्ति है । कलियुग में सबसे सरल उपाय है भगवद् प्राप्ति की हमेशा भक्ति में लीन रहना चाहिए। आज की कथा में प्रभात फेरी परिवार के आलोक माहेश्वरी जी, महेश जी शर्मा ने भी सुन्दर-सुन्दर भजन श्रवण कराया। मुख्य यजमान विश्वनाथ रविकुमार अग्रवाल जी ने कहा कि यह कथा 15 तारीख तक दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक चलेगी।